भाजपा ने रालोद के साथ मिलकर पश्चिमी उप्र की सभी 14 सीटें जीतने का रखा लक्ष्य

नोएडा। लोकसभा चुनाव में भाजपा का रालोद के साथ गठबंधन होने से पश्चिमी उप्र की अधिकांश सीटों पर स्थिति मजबूत हो गई है। दोनों पार्टियों के गठबंधन से विपक्ष के लिए लोकसभा की राह कठिन हो गई है।

पश्चिमी उप्र को जाट और गुर्जर बहुल माना जाता है। जाट और गुर्जर कभी चुनाव में एक साथ किसी पार्टी के पक्ष खड़े नहीं दिखे, लेकिन खतौली विधानसभा के उप चुनाव में जाट-गुर्जर-मुस्लिम-त्यागी गठजोड़ के कारण भाजपा को सीट गंवानी पड़ी थी।

इस वजह से चिंतित थी भाजपा

गठबंधन के गुर्जर नेता मदन भैया चुनाव जीतकर विधान सभा पहुंचे थे। भाजपा हाईकमान इससे चिंतित था। इसी वजह से रालोद के साथ गठबंधन किया गया।

इसका लाभ पश्चिमी उप्र की सभी 14 लोकसभा सीटों पर मिल सकता है। रालोद ने भी जाट-गुर्जर गठजोड़ को बरकरार रखने के लिए अपने दोनों लोकसभा प्रत्याशी इन्हीं दो जातियों से घोषित किए हैं।

बागपत से जाट बिरादरी के राजकुमार सांगवान चुनाव लड़ेंगे। जबकि, बिजनौर से गुर्जर बिरादरी के चंदन चौहान को टिकट दिया गया है। चंदन चौहान के पिता संजय चौहान भी बिजनौर से सांसद रह चुके हैं।

पिछली बार गंवानी पड़ी थी सात सीट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाजपा को 375 व एनडीए को 400 के पार सीट मिलने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भाजपा इस बार लोकसभा चुनाव में कहीं से भी कोई ढील नहीं छोड़ना चाहती है।

खासकर पश्चिमी उप्र में किसान आंदोलन के कारण जाटों की नाराजगी के चलते गत लोकसभा चुनाव में भाजपा को 14 में से संभल, बिजनाैर, मुरादाबाद, अमरोहा, रामपुर समेत सात सीट गंवानी पड़ी थी।

हालांकि, बाद में उप चुनाव में रामपुर सीट जीत ली थी। जाटों को मनाने के लिए भाजपा ने इसी बिरादरी के भूपेंद्र चौधरी को उत्तर प्रदेश का पार्टी अध्यक्ष व पड़ोसी राज्य हरियाणा में ओपी धनखड़ को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी।

भाजपा को जाट बहुल सीटों पर हार का सामना करना पड़ा

पश्चिमी उप्र का अध्यक्ष भी जाट बिरादरी से बनाया गया, लेकिन इसका कोई खास प्रभाव जाट बिरादरी पर नहीं पड़ा। जाटों को वह मनाने में नाकाम रहे तो गत विधानसभा चुनाव में भाजपा को जाट बहुल सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।

राजस्थान विधान सभा चुनाव में भी जाट बहुल कई सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। सूत्रों का दावा है कि भाजपा के जाट नेताओं का प्रभाव न पड़ने की वजह से ही भाजपा को रालोद से गठबंधन करना पड़ा।

जयंत के जरिए जाटों को मनाने की है तैयारी

जयंत चौधरी के जरिए भाजपा अब जाटों को मनाने के लिए तरकश से हर तीर को निकाल रही है। जयंत की पार्टी से एक जाट विधायक व एक मुस्लिम विधायक को उप्र सरकार में मंत्री बनाए जाने पर विचार चल रहा है। इससे जाट और मुस्लिमों में भाजपा को लाभ मिल सकता है।

दूसरी बड़ी जाति गुर्जरों को भी भाजपा ने पश्चिमी उप्र से दो टिकट दिए हैं। जयंत चौधरी भी गुर्जरों के साथ भी गठजोड़ कायम रखना चाहते हैं, इसी वजह से उन्होंने बिजनौर लोकसभा सीट से गुर्जर बिरादरी के चंदन चौहान को टिकट दिया है।

गुर्जर बिरादरी के नाम रहा ये रिकॉर्ड

चंदन चौहान मीरपुर से विधायक हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पश्चिमी उप्र में अकेले गुर्जर बिरादरी ऐसी रही है, जिसके पूर्व में 14 सीटों में से सात पर सांसद रह चुके हैं।

इनमें सहानपुर लोकसभा सीट से नकली सिंह गुर्जर तीन बार, बागपत लोकसभा सीट से रामचंद्र विकल, मेरठ से अवतार सिंह भड़ाना व हरीश पाल गुर्जर, अमरोहा से कंवर सिंह तंवर, कैराना से हुकुम सिंह व प्रदीप कुमार, गौतमबुद्ध नगर से सुरेंद्र नागर, बिजनौर से संजय चौहान व मलूक नागर सांसद रह चुके हैं।

भाजपा-रालोद से तीन गुर्जर होंगे प्रत्याशी

भाजपा और रालोद दोनों ही इस बात से परिचित हैं कि गुर्जरों का पश्चिमी यूपी की अधिकांश सीटों पर प्रभाव है, इसलिए भाजपा के बाद अब रालोद ने भी दो सीटों में से एक पर गुर्जर प्रत्याशी पर दांव लगाया है। यानी पश्चिमी यूपी से भाजपा रालोद गठबंधन में तीन गुर्जर चुनाव लड़ेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.