मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाले जाने के खुशी में गोविंद गंगा घाट पर दीपदान कर मिष्ठान वितरण कर खुशियां मनाई गई

हरिद्वार। उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 41 श्रमिकों की सही-सलामत वापसी पर पूरे देश में खुशी है। उत्तराखंड में लोगों ने अब जाकर दिपावली मनाई है। इस खुशी के माहौल के बीच भगवान के दर पर लोगों ने मत्था भी टेका। गुरुवार को कहीं दीप जलाए गए, तो कहीं मजार पर चादर चढ़ाई गई।

नमो-नमो मोर्चा भारत के पदाधिकारियों व सदस्यों ने सिल्क्यारा टनल में 17 दिनों से फंसे श्रमिकों के स्वस्थ व सुरक्षित बाहर निकाले जाने के खुशी में बुधवार को गोविंद गंगा घाट पर दीपदान कर मिष्ठान वितरण कर खुशियां मनाई गई। सभी सदस्यों ने प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन व मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की देखरेख में सभी विभागों व संगठनों के अधिकारियों व कर्मचारियों के भागीरथ पुरुषार्थ की सराहना की।

ये लोग रहे शामिल

अधिकारियों ने बचाव दल का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में नमो-नमो मोर्चा भारत के प्रदेश अध्यक्ष सुनील पांडेय, संगठन मंत्री मनोज शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष आईटी सेल तरुण शुक्ल, जिला उपाध्यक्ष अनिल मौर्य, महामंत्री शिवशंकर पांडेय, कोषाध्यक्ष ज्ञान प्रकाश सिंह, संगठन मंत्री हरिनारायण त्रिपाठी व सदस्य माता प्रसाद पांडेय, श्यामा चरण शुक्ल, देवेन्द्र कुमार, विजय मलिक भेल, पूर्व सैनिक संगठन के सदस्य मुकेश गुप्ता व डी के राय, मातृशक्ति श्रीमती सुधा राठौर, श्रीमती संगीता व श्रीमती अमिता गुप्ता जी उपस्थिति रही।

दरगाह पर चढ़ाई चादर

उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सुरंग में फंसे श्रमिकों के सकुशल वापस बाहर आने पर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा कार्यकर्ताओं ने घड़ी वाले दरगाह पर चादर और फूल पेश कर खुदा का शुक्रिया अदा किया। इस दौरान भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी शहनवाज सलमानी व जिला सूफी संयोजक गुलाम साबिर ने सभी श्रमिको को बधाई दी।

सीएम और पीएम का शुक्रिया

शहनवाज सलमानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और रेस्क्यू ऑपरेशन का हिस्सा रहे सभी लोगों ने बेहतरीन कार्य किया। इस अवसर पर सभी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताया और मुल्क की खुशहाली के लिए दुआएं मांगी। चादर और फूल पेश करने वालों में मोहम्मद इकबाल काजमी, शाहिद कुरैशी, जिगरिया अहमद, गुलाम साबिर, शहनवाज सलमानी, इलियास अली, अकबर अब्बासी आदि कार्यकर्ता शामिल रहे।

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