राजकीय इंटर कॉलेज बर्दाखान के छात्र-छात्राएं कई सालों से शिक्षकों की राह देख रहे हैं।

लोहाघाट : राजकीय इंटर कॉलेज बर्दाखान के छात्र-छात्राएं कई सालों से शिक्षकों की राह देख रहे हैं। वर्ष 1972 में 73 छात्र संख्या के साथ शुरू हुआ विद्यालय विकासखंड का सबसे पुराना विद्यालय है। जहां वर्तमान में करीब 150 छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं, लेकिन विद्यालय में गणित, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, अंग्रेजी जैसे मुख्य विषयों के शिक्षक नहीं हैं।

सरकार चाहे लाखों दावे कर ले लेकिन धरातल पर सरकारी विद्यालयों की स्थिति बदहाल है। सरकारी विद्यालयों की व्यवस्थाओं की पोल खोलने के लिए राजकीय इंटर कॉलेज बर्दाखान काफी है। विकासखंड का सबसे पुराना विद्यालय आज भी शिक्षकों की बाट जोह रहा है। यहां कई महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक न होने से करीब 150 छात्र छात्राओं का भविष्य अंधकार में है। छात्र-छात्राएं ट्यूशन या फिर स्वाध्ययन से ही पढ़ाई कर रहे हैं। विद्यालय में सुविधाओं के अभाव में छात्रों वे अभिभावकों का विद्यालय से मोह भंग हो रहा है। अभिभावक संघ का कहना है कि कई बार रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार व शिक्षा विभाग से मांग की जा चुकी है, लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान देना जरूरी नहीं समझ रहा है।

इन ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे आते है अध्ययन करने

विद्यालय में दस किमी दूर कामाज्यूला, सूरी, नदेडा, भनखोला, मटियाल, रैघांव, पाडासोसेरा, लुवाकोट, भनार, बिसराडी, नर्रा, छुलापें, लोहाश्री, सिमलखेत ग्रामीण क्षेत्रों से पैदल चल कर अध्ययन करने आते है। इन क्षेत्रों से कई बच्चे विद्यालय में शिक्षक न होने से कम ही विद्यालय आते हैं।

विद्यालय में रिक्त पदों को भरने के लिए कई बार शिक्षा विभाग व सरकार को ज्ञापन भेज दिए है, लेकिन किसी ने भी विद्यालय की सुध नही ली। – भवान कालाकोटी, पीटीए अध्यक्ष।

दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों से बच्चे पैदल चलकर विद्यालय पहुंचते है, शिक्षकों के अभाव में बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। ज्योति राय, पूर्व ग्राम प्रधान

शिक्षकों के अभाव में बच्चों का शिक्षा स्तर कैसा होगा अंदाजा लगाया जा सकता है। गांव घरों में न तो ट्यूशन की व्यवस्था है और न ही अधिकतर ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति अच्छी है। – प्रकाश चंद्र राय, सामाजिक कार्यकर्ता।

शिक्षकों की कमी का असर सीधे गरीब बच्चों पर पड़ रहा है। क्षेत्र के लोगों की निजी विद्यालय में बच्चों को दाखिला करने की मजबूरी हो गई है। – दीपक पांडेय, ग्रामीण।

शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान हो रहा है। क्षेत्र के ग्रामीणों व अभिभावकों ने कई बार धरना प्रदर्शन करने के बाद भी किसी ने सुध नही ली। – गीता देवी अभिभावक

विद्यालय के रिक्त पदों का ब्यौरा निदेशालय को भेजा गया है। जैसे ही नियुक्ति होती है शीघ्र व्यवस्था कर ली जाएगी। – आरसी पुरोहित, मुख्य शिक्षा अधिकारी चम्पावत।

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