बौद्ध धर्म और सामाजिक सहभागिता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित, पूर्व राष्ट्रपति हुए शामिल

आत्म खोज और आंतरिक शांति के लिए ध्यान का गहरा महत्व है। यह कहना है पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का। उन्होंने यह बात राजपुर रोड में आयोजित थेरवाद बौद्ध धर्म और सामाजिक सहभागिता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। सम्मेलन में 11 देशों से आए बौद्ध भिक्षुओं एवं विद्वानों ने प्रतिभाग किया।

पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने बौद्ध धर्म के दार्शनिक आधारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने आंतरिक शांति, मन की स्पष्टता और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने में इस प्राचीन अभ्यास के प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने अमृत उद्यान में उनके कार्यकाल में लगाए बोधगया महाबोधि वृक्ष के बारे में भी जानकारी दी।

बौद्ध दर्शन के सार के बारे में बताया
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने बुद्ध की शिक्षाओं के महत्व पर प्रकाश डाला व बौद्ध देशों में उनकी यात्राओं का जिक्र किया। व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से राज्यपाल ने आधुनिक जीवन की जटिलताओं को सुलझाने में इसके कालातीत ज्ञान और व्यावहारिकता को स्पष्ट करते हुए, बौद्ध दर्शन के सार के बारे में बताया।

राज्यपाल ने कहा, इस धर्म के महात्मा और गुरुओं के मार्गदर्शन में बुद्ध के मूल सिद्धांतों को जो अपनाता है, वह लोगों को सुख, शांति, और आत्म-समर्पण की अनुभूति कराता है। थेरवाद बौद्ध धर्म का महत्व ध्यान और उसकी महत्ता में है। ध्यान का अभ्यास इस धर्म के अनुयायियों को अपने जीवन को सार्थक और समृद्ध बनाने के लिए एक मार्गदर्शक द्वार साबित होता है।

विशिष्ट अतिथि धार्मिक नेता, डॉ. लॉग महानायक महाथेरा ने राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों मंचों पर भारतीय बौद्ध धर्म के प्रचार और संरक्षण के लिए उनकी स्थायी प्रतिबद्धता को मान्यता देते हुए, बौद्ध धर्म के प्रति उनके समर्थन के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का आभार जताया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.