रेसकोर्स चौक स्थित मेडिकल स्टोर पर छापेमारी करती जिला प्रशासन की टीम

देहरादून। रेमडेसिविर दवा की किल्लत के बीच इसकी कालाबाजारी की शिकायत भी निरंतर मिल रही है। विशेषकर रेसकोर्स चौक स्थित रिंकू मेडिकोज के बारे में कालाबाजारी की बात सामने आ रही है। लिहाजा, जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव के निर्देश पर गठित संयुक्त टीम ने बुधवार को यहां छापेमारी की।

जिलाधिकारी के निर्देश पर एक टीम सिटी मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान और दूसरी टीम एसडीएम सदर गोपालराम बिनवाल के नेतृत्व में बनाई गई। सिटी मजिस्ट्रेट की टीम ने मेडिकल स्टोर, जबकि एसडीएम की टीम ने मेडिकोज संचालक के रेसकोर्स स्थित घर पर छापा मारा। हालांकि, स्टोर व घर से रेमडेसिविर दवा बरामद नहीं की जा सकी। सिटी मजिस्ट्रेट चौहान ने बताया कि दवा कहीं अन्यत्र भी छिपाई जा सकती है। ऐसे में गोपनीय आधार पर उसका भी पता किया जा रहा है। छापेमारी में सीओ सिटी, सीओ नेहरू कॉलोनी समेत स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न अधिकारी शामिल रहे।

दो बजे दुकानें बंद कराने से व्यापारी नाखुश

दोपहर दो बजे से व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद करने के जिला प्रशासन के फैसले से व्यापारी खुश नहीं हैं। उनका तर्क है कि जिला प्रशासन ने कर्फ्यू का समय शाम सात बजे से किया है और दुकानें दोपहर दो बजे बंद करवा दी गई हैं। केवल चार घंटे में व्यापारी क्या कमाएंगे और क्या अपने कर्मचारियों को वेतन देंगे। व्यापारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा है कि जीवन भी जरूरी है और आजीविका भी, लेकिन दून जिला प्रशासन आजीविका को पूरी तरह नजरअंदाज कर रहा है। पहले ही छोटे व्यापारी पिछले साल के लॉकडाउन से हुए घाटे से उबर नहीं पाए हैं।

व्यापारी वर्ग कोरोना संक्रमण को रोकने को लेकर प्रशासन के साथ चलने को तैयार है, लेकिन परिवार का भरण पोषण व दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन का प्रबंध तो करना ही होगा। उन्होंने जिलाधिकारी से बाजार का समय बढ़ाने की मांग की है। दून वैली महानगर उद्योग व्यायार मंडल के अध्यक्ष पंकज मैसोन ने कहा कि दो बजे तक दुकानदार क्या व्यापार करेंगे। जब कर्फ्यू सात बजे से है तो कम से कम शाम छह बजे तक तो दुकानें खुली रखी जा सकती थीं। उधर, दून महानगर व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुनील कुमार बंगा ने कहा कि वाहन सात बजे तक दौड़ते रहेंगे और दुकानें दो बजे बंद हो जाएंगी, यह ठीक नहीं है। हजारों व्यापारी पहले ही गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।

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