मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को सचिवालय में वन भूमि हस्तांतरण के लम्बित प्रकरणों के संबंध में सचिवालय में बैठक ली। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये की वन भूमि हस्तान्तरण के लम्बित मामलों के निस्तारण के लिए नियमित समीक्षा की जाय। जनपद स्तर पर जिलाधिकारी, डीएफओ व समाज कल्याण अधिकारी प्रतिमाह बैठकर लम्बित मामलों के समब्न्ध में बैठक कर उनका निस्तारण करेंगे। ऐसे ब्लाॅक को भी चिन्हित करने के निर्देश दिये गये जिनमें वनाधिकार से सबंधित कोई मामले नहीं हैं। प्रत्येक जनपद में लेण्ड बैंक बनाने के निर्देश भी दिये गये।
बैठक में जानकारी दी गई कि वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया भारत सरकार द्वारा निर्मित पोर्टल ‘परिवेश’ में आनलाईन प्रक्रिया के माध्यम से किया जा रहा है। राज्य निर्माण के पश्चात वन भूमि के 42479.47 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरण हुआ है, जिसके अन्तर्गत कुल 36 91 प्रकरण शामिल हैं। राज्य में अभी वन भूमि के 546 केस विभिन्न स्तरों पर पेंडिग हैं। जिसमें से लोक निर्माण विभाग के 270, एनएचएआई के 14, पीएमजीएसवाई के 169, रोड सेक्टर के 07, पेयजल के 22, खनन का 01, हाईडिल के 02, ट्रासमिशन लाईन के 05 व 56 अन्य मामले लंबित हैं। ये प्रकरण यूजर एजेंसी लेबल, नोडल आॅफिसर, डीएफओ, कन्जरवेटर राज्य व भारत सरकार के स्तर पर लंबित हैं।
बैठक में वन मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत, अपर मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव वन श्री आनन्द वर्द्धन, प्रमुख सचिव श्रीमती मनीषा पंवार, सचिव डाॅ. भूपेन्द्र कौर औलख, श्री एल. फैनई, श्री अरविन्द सिंह ह्यांकी व संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।