राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश में कोविड-19 के कारण लागू लाकडाउन के दौरान महामारी एक्ट और आपदा प्रबंधन एक्ट में दर्ज सभी मुकदमें वापस लिए जाएंगे। इसके साथ ही वर्ष 2016 और उसके बाद गठित क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों का मानचित्र को स्वीकृति देने का अधिकार भी स्थगित कर दिया गया है। इन प्राधिकरणों की समीक्षा के लिए कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कैबिनेट उप समिति का गठन किया गया है। सभी स्थानों में इन प्राधिकरणों के गठन से पहले ही स्थिति बहाल की गई है।
नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में शुक्रवार को मंत्री परिषद की पहली बैठक आयोजित की गई। बैठक की जानकारी देते हुए मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि बैठक में दो बिंदुओं पर निर्णय लिया गया। पहला निर्णय प्रदेश में लाकडाउन के दौरान दर्ज मुकदमें वापस लेने का रहा। दरअसल, लाकडाउन के दौरान प्रदेश से बाहर जाने वाले प्रवासी मजदूरों और प्रदेश में आने वाले व्यक्तियों पर महामारी एक्ट और आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत मुकदमें दर्ज किए गए थे। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्रवासी मजदूरों से मुकदमें वापस लेने के निर्देश दिए थे।
इस तरह के कुल 155 मुकदमें दर्ज थे। इस क्रम में कुछ जिलों से मुकदमें वापस भी ले लिए गए हैं। अब मंत्री परिषद ने इस अवधि में महामारी एक्ट और आपदा प्रबंधन एक्ट में दर्ज सभी मुकदमें वापस लेने का निर्णय लिया है। चाहे ये मुकदमें किसी पर भी दर्ज किए गए हैं। वहीं, दूसरे अहम निर्णय में मंत्री परिषद ने वर्ष 2016 और इसके बाद गठित विकास प्राधिकरणों की समीक्षा के लिए कैबिनेट उप समति बनाई गई है। इसके अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत हैं। इसमें कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल व अरविंद पांडेय को भी शामिल किया गया है।
दरअसल, 2016 के बाद कई क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों का गठन किया गया। इन प्राधिकरणों की कार्यशैली को लेकर विधायकों में खासा आक्रोश है। इसे लेकर कई बार पिछली सरकार के सामने विरोध भी प्रकट किया गया। अब मंत्री परिषद ने फिलहाल इन प्राधिकरणों के मानचित्रों को स्वीकृति देने का अधिकार स्थगित कर दिया है। यह साफ किया गया है कि 2016 से पूर्व जिस तरह से मानचित्र स्वीकृति का काम चल रहा था उसी तरह चलता रहेगा।
मुकदमे वापस लेने से राहत
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की पहली कैबिनेट बैठक में लॉकडाउन के दौरान महामारी एक्ट और आपदा प्रबंधन एक्ट में दर्ज मुकदमों को वापस लेने के आदेश के बाद सैकड़ों व्यक्तियों को राहत मिल गई है। लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में करीब 4500 मुकदमे दर्ज किए गए थे। सरकार के इस आदेश के बाद जहां कई व्यक्तियों को राहत मिली है, वहीं पुलिस को भी अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। पुलिस की मानें तो लॉकडाउन के दौरान हुए अधिकतर मुकदमों में चार्जशीट कोर्ट चली गई है। जबकि, कुछ मामलों में अभी बयान दर्ज किए जा रहे हैं। आदेश जारी होने के बाद अब जिन मुकदमों में चार्जशीट कोर्ट में जा चुकी है, उनकी पैरवी नहीं होगी। वहीं जिन मुकदमों में अभी बयान चल रहे हैं, उनमें संबंधित जांच अधिकारी फाइनल रिपोर्ट लगा देगा।