दो दिन की मशक्कत के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपनी टीम की फाइनल

राज्य ब्यूरो, देहरादून। दो दिन की मशक्कत के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपनी टीम फाइनल कर दी। राज्यपाल द्वारा जिन 11 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई, उनमें से सात त्रिवेंद्र मंत्री परिषद का भी हिस्सा रहे, लेकिन जो चार नए मंत्री शामिल किए गए, उनके बूते तीरथ अपनी मंत्री परिषद में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधने में कामयाब रहे। मुख्यमंत्री समेत गढ़वाल मंडल से कुल सात और कुमाऊं मंडल से पांच सदस्य मंत्री परिषद का हिस्सा बने हैं। राज्य के कुल 13 में से आठ जिलों को तीरथ की टीम में प्रतिनिधित्व हासिल हुआ है। पौड़ी गढ़वाल से सबसे ज्यादा तीन और ऊधमसिंह नगर जिले से दो मंत्री बनाए गए हैं। मुख्यमंत्री समेत पौड़ी गढ़वाल से मंत्री परिषद में चार सदस्य हो गए हैं। मंत्री परिषद की तस्वीर से यह साफ हो गया कि चुनावी वर्ष होने के कारण योग्यता व क्षमता पर संतुलन को तरजीह मिली है।

उत्तराखंड के 10 वें मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभालने के दो दिन बाद केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने पर शुक्रवार शाम शपथ ग्रहण के साथ ही तीरथ की पूरी टीम अस्तित्व में आ गई। इनमें से पांच कैबिनेट व दो राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तो त्रिवेंद्र सरकार में भी शामिल थे, लेकिन तीरथ ने तीन कैबिनेट व एक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नए शामिल किए। इससे उन्हें क्षेत्रीय व जातीय संतुलन कायम करने में मदद मिली। पिथौरागढ़ का प्रतिनिधित्व त्रिवेंद्र सरकार में प्रकाश पंत कर रहे थे, लेकिन 2019 में उनका असामयिक निधन हो गया। अब यहां से बिशन सिंह चुफाल को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इसी तरह बंशीधर भगत को कैबिनेट में लेकर नैनीताल को प्रतिनिधित्व दिया गया है।

देहरादून का प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री के रूप में त्रिवेंद्र सिंह रावत कर रहे थे। उनके पद से हटने के बाद यहां से अब गणोश जोशी कैबिनेट में लिए गए हैं। हरिद्वार विधायक मदन कौशिक को कैबिनेट की जगह अब संगठन की कमान सौंपी गई है, तो इस जिले से स्वामी यतीश्वरानंद, तीरथ की टीम में शामिल हुए हैं। जहां तक जातीय संतुलन का सवाल है, मंत्री परिषद में चार ब्राह्मण व पांच राजपूत सदस्य शामिल हैं। अनुसूचित जाति के दो सदस्यों को जगह दी गई। संत समाज के प्रतिनिधि के रूप में एक सदस्य मंत्री परिषद का हिस्सा है। नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, टिहरी, देहरादून, हरिद्वार के हिस्से एक-एक मंत्री पद आए। मुख्यमंत्री फिलहाल विधायक नहीं हैं। जो पांच जिले अब भी प्रतिनिधित्व से वंचित रह गए हैं, उनमें रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर व चम्पावत शामिल हैं।

गणोश जोशी का नाम कैबिनेट में आना खासा चौंकाने वाला रहा। हालांकि वह तीन बार विधायक रहे हैं, लेकिन मंत्री बनने का अवसर उन्हें पहली बार मिला। त्रिवेंद्र मंत्री परिषद में शामिल दो राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धन सिंह रावत और रेखा आर्य की पदोन्नति पाकर कैबिनेट में शामिल होने की हसरत फिलहाल अधूरी ही रह गई। दिलचस्प बात यह है कि धन सिंह का नाम त्रिवेंद्र सिंह रावत के उत्तराधिकारी के रूप में चर्चाओं में रहा। नए मंत्रियों के मामले में वरिष्ठता को तरजीह दी गई। चुफाल और भगत उत्तर प्रदेश के समय से विधायक हैं, मगर पिछली त्रिवेंद्र कैबिनेट में उन्हें दरकिनार कर दिया गया था। भगत को हालांकि बाद में प्रदेश संगठन के अध्यक्ष का जिम्मा दिया गया। अब साफ हो गया कि मुख्यमंत्री तीरथ ने अपनी टीम तैयार करते हुए संतुलित और संयमित दृष्टिकोण अपनाया और अति उत्साह में कोई कदम नहीं उठाया।

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