सीडीएस जनरल बिपिन रावत की शहादत को सम्मान देते हुए निलंबित राज्यसभा सांसदों ने अपना धरना एक दिन के लिए किया स्थगित

सीडीएस जनरल बिपिन रावत की शहादत को सम्मान देते हुए विपक्ष के निलंबित राज्यसभा सांसदों ने अपना धरना एक दिन के लिए स्थगित कर दिया है। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार बताया कि हेलीकाप्टर हादसे में शहीद हुए सीडीएस बिपिन रावत और अन्य सैनिकों के प्रति सम्मान के तौर पर विपक्षी नेताओं ने निलंबन के खिलाफ अपना धरना एक दिन के लिए स्थगित कर दिया है। वहीं, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि दुर्घटना में जान गंवाने वाले सीडीएस और अन्य लोगों के सम्मान में हमने आज विरोध प्रदर्शन नहीं करने का फैसला किया है।

कल फिर शुरू होगा धरना

कांग्रेस द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि हेलिकॉप्टर दुर्घटना में अपनी जान गंवा चुके स्वर्गीय सीडीएस और अन्य जवानों के सम्मान में, हमने अपना धरना आज के लिए स्थगित कर दिया है। यह धरना कल फिर से शुरू होगा। आपको बता दें, संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर को शुरू हुआ था, तब से ही राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है। निलंबित सांसदों के साथ विपक्षी नेता संसद परिसर में गांधी प्रतिमा पर निलंबन का विरोध कर रहे हैं।

पूरे सत्र के लिए निलंबित

निलंबित सदस्यों में कांग्रेस से छह, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना के दो-दो, और सीपीआई और सीपीएम से एक-एक शामिल हैं। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन विपक्षी 12 राज्यसभा सांसदो को अगस्त में मानसून सत्र के दौरान हंगामें के आरोप में निलंबित कर दिया गया था। निलंबित सांसदों में फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन और कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह, डोला सेन, तृणमूल कांग्रेस के शांता छेत्री, प्रियंका चतुर्वेदी, शिवसेना के अनिल देसाई, सीपीएम के एलाराम करीम और, भाकपा के बिनाय विश्वम शामिल हैं।

दुर्घटना का शिकार हुए सीडीएस

गौरतलब है कि देश के पहले सीडीएस जनरल रावत डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज के दौरे पर थे। जब उनका हेलिकॉप्टर तमिलनाडु में कुन्नूर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे में सीडीएस और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत कुल 13 लोगों की मौत होने की पुष्टी वायुसेना ने की थी। जनरल रावत को 31 दिसंबर, 2019 को भारत के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ के रूप में नियुक्त किया गया था। इससे पहले जनवरी 2017 से दिसंबर 2019 तक वो सेनाध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने दिसंबर 1978 में भारतीय सेना ज्वाइन की थी।

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