दिल्ली में जीत की हैट्रिक लगाने वाले अरविंद केजरीवाल का जादू उत्तराखंड के एक सियासतदां के सिर चढ़कर बोल रहा है। सियासतदां भी ऐसा, जो केंद्र में कैबिनेट मंत्री और उत्तराखंड का मुख्यमंत्री रह चुका है, जिसके खुद लाखों मुरीद हैं। सही पकड़े आप, ये हैं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत, जो सूबे में कांग्रेस की सत्ता में वापसी को शिददत से जुटे हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव में दो साल हैं लेकिन इन्हें जीत का गुरुमंत्र अभी मिल गया। जनाब वोटर से वादा कर रहे हैं कि 2022 में कांग्रेस सत्ता में आई तो सबके लिए बिजली-पानी फ्री। यह बात अलग है कि संगठन के सूबाई मुखिया प्रीतम सिंह के सुर जुदा हैं। उनका कहना है कि पहले चुनाव में पार्टी को जीत मिले, उसके बाद सब मिल बैठकर तय होगा। अब यह मत कहिएगा कि इस बहाने हरदा ने खुद को पार्टी का सीएम कैंडीडेट घोषित कर दिया है।
मंत्रीजी, ये क्या कर डाला आपने
कम ही ऐसे किस्मत वाले होते हैं, जिनके नाम-काम में साम्यता होती है। ऐसे ही हैं मंत्रीजी। नाम मंत्री है और इत्तेफाक देखिए, सूबाई सरकार में काबीना मंत्री भी रह चुके हैं। मंत्री रहते हुए इन्होंने क्या काम किए, भले ही याद न आ रहा हो, लेकिन देवशिला डोली यात्रा का जिक्र आते ही समझ जाएंगे कि बात हो रही है मंत्री प्रसाद नैथानी की। जब सत्ता से बाहर होते हैं, इनका प्रिय शगल होता है धार्मिक यात्रा निकालना। इस दफा सियासी वनवास लंबा हो चला तो मंत्रीजी ने अपनी धार्मिक यात्रा को ही सियासी सफर में तब्दील कर दिया। इस सबके बीच इस बात को बिसरा गए कि देवशिला यात्रा से देव याचना यात्रा तक का बदलाव पब्लिक को नागवार भी गुजर सकता है। फिर अब तक कांग्रेस आरोप लगाती आई है कि भाजपा धर्म के नाम पर सियासत करती है। तो मंत्रीजी, अब आप क्या कर रहे हैं।
दिल्ली के मंत्री, दून का चश्मा
बड़े लोग कब, क्या करें और क्यों, कोई नहीं जानता। ऐसा ही कुछ हाल में देखने को मिला। वक्त, शाम के लगभग पांच बजे, दून की सड़कों पर दौड़ता एक वीआइपी काफिला अचानक एक ऑप्टिशियन की दुकान पर आकर थम गया। फिर सिक्योरिटी के बीच वीआइपी वाहन से उतरे और दुकान में एंट्री ली, लाजिमी तौर पर ऑप्टिशियन चौंक पड़े। ये वीआइपी थे केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलौत। गहलौत का उत्तराखंड से पुराना नाता है। वह भाजपा के उत्तराखंड प्रभारी रह चुके हैं। गहलौत देहरादून में एक कार्यक्रम में शिरकत को पहुंचे थे और शाम को एयरपोर्ट लौट रहे थे। पता नहीं अचानक उन्हें क्या सूझा कि चश्मा बनवाने बीच रास्ते उतर पड़े। खैर, आंखों की जांच करा और फ्रेम पसंद कर मंत्रीजी दिल्ली रवाना हो गए। इस पर तो केवल यही कह सकते हैं कि मंत्रीजी भले ही दिल्ली रहते हैं, चश्मा तो उन्हें दून का ही पसंद है।
घूमो या झूमो, फैसला है आपका
हाल ही में सरकार ने दो अहम फैसले लिए, दोनों अवाम से जुड़े हुए। दिलचस्प यह कि दोनों फैसलों को लेकर रिएक्शन बिल्कुल ही अलग। खासकर सोशल मीडिया में तो ऐसी ऐसी टिप्पणियां मिल रही हैं कि क्या कहने। पहले तो सरकार ने वाहन भाड़े में इजाफा कर दिया। यानी, इधर से उधर जाने के लिए अब पहले से ज्यादा पैसे खर्चने होंगे। यहां तो जेब हो गई ढीली, लेकिन सरकार इतनी भी नामुराद नहीं, यह दूसरे फैसले से साबित हो गया। कुछ महंगा किया तो कुछ सस्ता भी किया। कतई गलत नहीं कह रहे हैं हम। जितना वाहनों का किराया बढ़ाया, उससे ज्यादा सस्ती कर दी दारू। अप्रैल फूल के दिन, पहली अप्रैल से शराब आज के मुकाबले कम दाम पर मिलेगी, 20 फीसद कम। मुबारक कहिए न सरकार को। अब आप खुद तय कर लें, चाहें तो घूम लें या फिर सस्ती दारू का लुत्फ ले झूम लें।