मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को बालावाला स्थित एक स्थानीय फार्म में आयोजित हरेला कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण में लोक पर्व हरेला का विशेष महत्व है। पेड़ लगाने और पर्यावरण बचाने की संस्कृति की ऐसी सुंदर झलक देवभूमि उत्तराखंड में ही दिखती है। हमारा यह त्योहार देवभूमि से शुरू होकर पूरे देश में फैल गया है।
उन्होंने कहा कि यह पर्व यह दर्शाता है कि देवभूमि के लोग प्रकृति के बेहद नजदीक हैं। प्रकृति को अपनी दिनचर्या, तीज त्यौहार, और संस्कृति में समाहित करते हैं। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वर्मिंग की समस्या से आज दुनिया भर के देश चिंतित हैं। यह पर्व पूरी दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ने का संदेश देता है। हम पर्यावरण संरक्षण हेतु अपने स्तर से जागरूकता कार्यक्रम तो चला ही रहे हैं परन्तु इसमें प्रत्येक व्यक्ति को आगे आना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को शुद्ध हवा व वातावरण मिल सके इसके लिए सबको वृक्षारोपण व पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान देना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला सुख-समृद्धि व जागरूकता का प्रतीक है। हमारे पूर्वजों ने वृक्षों को बचाने के लिए अनवरत प्रयास किये हैं। पीपल, वट व केले वृक्षो का हमारे धार्मिक ग्रंथों में विशेष महत्व था। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को अच्छा पर्यावरण मिले इसके लिए हमें संकल्प लेना होगा।