मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर राज्य सरकार के प्रमुख पदों पर नियुक्तियों से संबंधित फाइल को लेकर टालमटोल करने का आरोप लगाया है। ममता ने कहा कि लोकायुक्त सदस्य, मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सूचना का अधिकार आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज धनखड़ की मंजूरी के लिए ‘छह महीने से’ उनके पास पड़े हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल फाइल को मंजूरी नहीं दे रहे हैं। एक दिन पहले भी उन्होंने बजट को मंजूरी देने से इन्कार कर दिया था। मुझे यह याद दिलाने के लिए उन्हें फोन करना पड़ा कि यह उनका दायित्व है… बजट मंजूर करते समय भी उनके कई सवाल थे। चल क्या रहा है?
ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय में संवाददाताओं से कहा कि हर जगह (गैर भाजपा शासित राज्यों में) वे राज्यपाल नियुक्त करके एक समानांतर सरकार चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत कभी-कभी राज्य सरकारों को महत्वपूर्ण रिक्तियां भरने का निर्देश देती है, लेकिन धनखड़ के फाइल मंजूर नहीं करने से नियुक्तियां अटकी हुई हैं। धनखड़ ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के दावे ‘गलत’ हैं।
उन्होंने देर रात ट्वीट किया कि मुख्यमंत्री का यह कहना गलत है कि लोकायुक्त या एसएचआरसी के अध्यक्ष/सदस्य या सूचना आयुक्त की नियुक्ति संबंधी फाइल राज्यपाल के विचाराधीन हैं। 17 फरवरी को प्राप्त ये फाइल पांच दिन में वापस कर दी गई थीं और डेढ़ महीने से राज्य की प्रतिक्रिया का इंतजार है। धनखड़ ने पहले कहा था कि बंगाल सरकार के पूर्व पुलिस महानिदेशक वीरेंद्र और पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव नवीन प्रकाश की सूचना आयुक्तों के रूप में नियुक्ति की सिफारिश ‘त्रुटिपूर्ण’ थी।
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय एजेंसी को विपक्ष के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र की रक्षा के लिए उन्होंने गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं अन्य नेताओं को पत्र लिखा था। ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें सोमवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भी एक पत्र मिला, जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि राज्य को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) का अपना हिस्सा नहीं मिल रहा है।