समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा जिस दिन से सदन शुरू हुआ है उस दिन से हमारी पार्टी ने संभल पर चर्चा की मांग की है… हमारी मांग अभी भी वही है कि सदन में हम संभल को लेकर चर्चा हो। हम हमारी बात रखना चाहते हैं… अधिकारी मनमानी कर रहे हैं और वहां की सरकार के इशारे पर ये मनमानी की जा रही है।
संभल हिंसा को लेकर मंगलवार को संसद में एक बार फिर हंगामा हुआ। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मामले में यूपी सरकार को घेरते हुए अधिकारियों पर मनमानी के आरोप लगाए हैं। वहीं, सपा सांसद राम गोपाल यादव ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि इस तरह के सर्वे का आदेश देने वाले न्यायाधीशों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, “जिस दिन से सदन शुरू हुआ है उस दिन से हमारी पार्टी ने संभल पर चर्चा की मांग की है… हमारी मांग अभी भी वही है कि सदन में हम संभल को लेकर चर्चा हो। हम हमारी बात रखना चाहते हैं… अधिकारी मनमानी कर रहे हैं और वहां की सरकार के इशारे पर ये मनमानी की जा रही है… प्रशासन का इस तरह का व्यवहार कभी देखने को नहीं मिला। कम से कम वहां पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो… जो लोग जगह-जगह ‘खोद देना'(सर्वे करना) चाहते हैं वो देश का सौहार्द भी खो देंगे। यह सोची-समझी रणनीति है जिसके तहत भाजपा जगह-जगह पर इस तरह का काम कर रही है।”
समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा, “सर्वे के जरिए पूरे देश में अशांति पैदा करने की साजिश की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट को इसके खिलाफ नोटिस जारी करना चाहिए और इस तरह के सर्वे का आदेश देने वाले न्यायाधीशों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
राम गोपाल यादव ने कहा, “24 नवंबर को सुबह 6 बजे पूरे संभल में पुलिस तैनात कर दी गई। संभल के लोगों को पता ही नहीं था कि पुलिस क्यों तैनात की जा रही है। कुछ देर बाद डीएम, एसएसपी, वकील और कुछ लोग पुलिस के साथ ढोल बजाते हुए मस्जिद में घुस गए। भीड़ को शक था कि वे मस्जिद में तोड़फोड़ करने जा रहे हैं। एसडीएम ने पानी की टंकी खोली और जब पानी बाहर निकलने लगा तो लोगों को शक हुआ कि उसमें कुछ गड़बड़ है और फिर वहां अशांति फैल गई। पुलिस ने गोलियां चलाईं, 5 लोग मारे गए, 20 लोग घायल हुए, सैकड़ों लोगों पर केस दर्ज किए गए और कई लोग जेल में हैं। जो पकड़े गए उन्हें बुरी तरह पीटा गया। मेरा और कई अन्य लोगों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में पहले जो चुनाव हुए थे, उसमें पड़ोसी जिलों की पुलिस ने किसी को वोट नहीं डालने दिया और जबरन चुनाव अपने कब्जे में ले लिया। यह सब एक तरह से उस बात से ध्यान हटाने के लिए हुआ।”