उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) ने जनसंख्या को आधार मानकर होने वाले परिसीमन का विरोध किया है। दल के केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने कहा कि आगामी 2026 में देश-प्रदेश में विधानसभा सीटों का परिसीमन होना है। राज्य में विस सीटों का परिसीमन जनसंख्या के आधार पर किया जाना प्रस्तावित है। इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। क्योंकि राज्य में विस सीटों का परिसीमन जनसंख्या के बजाय क्षेत्रफल/भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर होना चाहिए।
कचहरी रोड स्थित केंद्रीय कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए भट्ट ने कहा कि यदि जनसंख्या को आधार मानकर परिसीमन किया जाता है तो पहले से ही पलायन की मार झेल रहे पर्वतीय जनपदों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। यूकेडी ने सबसे पहले पृथक राज्य की मांग की थी। इसलिए आगामी परिसीमन भी भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर किए जाने की मांग को लेकर दल संघर्षरत रहेगा।
केंद्रीय अध्यक्ष ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों और पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी विस सीटों के परिसीमन का आधार भौगोलिक रहा है। कहा कि राज्य गठन से ही उत्तराखंड के पर्वतीय जिले उपेक्षा का शिकार रहे हैं। पहाड़ के गांव के गांव मानवविहीन होते जा रहे हैं। किसी भी सरकार द्वारा पलायन रोकने के लिए ठोस पहल अभी तक नहीं की गई है।
कहा कि वर्तमान सरकार ने पलायन आयोग के रूप में एक ओर सफेद हाथी खड़ा कर दिया है। उत्तराखंड में स्थापित होने वाले उद्योगों में स्थानीय लोगों को 70 प्रतिशत रोजगार देने के शासनादेश को आज तक लागू नहीं किया गया है। उद्योगों में ठेकेदारी प्रथा चली आ रही है। उपनल के तहत लगे संविदा कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जा रहा।
उन्होंने कहा कि समूह ग के अंतर्गत स्थानीय लोगों की वरीयता को भाजपा सरकार ने खत्म कर राज्य के बेरोजगारों के साथ धोखा किया है। कहा कि उक्रांद राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों का पुरजोर विरोध करेगी। पत्रकार वार्ता में दल के संरक्षक त्रिवेंद्र सिंह पंवार, एपी जुयाल, सुनील ध्यानी, शांति भट्ट आदि भी मौजूद रहे।