देहरादून। 2017 में प्रचंड बहुमत से सत्ता पर काबिज हुई त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार अपने पूरे कार्यकाल में पांचवें व आखिरी साल में विकास योजनाओं पर दिल खोलकर खर्च कर सकेगी। पहली दफा निर्माण कार्यों के लिए बजट में 7166 करोड़ की राशि की व्यवस्था हो पाई है। इससे पहले साढ़े छह हजार राशि जुटाना सपना सरीखा हो गया था। जमरानी और सौंग बांध परियोजनाओं के साथ सामाजिक सुरक्षा पेंशन, कल्याण योजनाओं और जलापूर्ति, आवास और शहरी विकास के लिए अच्छी-खासी धनराशि नए बजट में जुटाई गई है। राज्य सरकार को ये हौसला 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के बूते मिला है। इसकी बदौलत उत्तराखंड को हर साल 17969 करोड़ की राशि मिलने का रास्ता साफ हुआ है।
उत्तराखंड सरकार को अब तक के चार साल के कार्यकाल में डबल इंजन का पूरा फायदा मिला है। खराब व माली हालत से जूझ रहा प्रदेश अपनी स्थापना के 20 साल बाद भी अपनी आमदनी को अपेक्षा के अनुरूप बढ़ा नहीं सका है। राज्य की विषम परिस्थितियों में अवस्थापना विकास में होने वाला बड़ा खर्च सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है, वहीं गैर विकास मदों के रूप में वेतन, भत्तों, पेंशन, मानदेय के रूप में बढ़ते खर्च से पार पाने का रास्ता सरकार को अब तक नहीं सूझा है। सच ये है कि राज्य बनने के बाद से उत्तराखंड में विकास का दारोमदार और पर्वतीय क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विस्तार का पूरा दारोमदार केंद्र सरकार की मदद और केंद्रपोषित योजनाओं के हवाले है।
यही वजह है कि आल वेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन, बागेश्वर-टनकपुर रेल लाइन, भारत माला परियोजनाएं, सीमांत क्षेत्रों के विकास को मिलने वाली केंद्रीय मदद पर उत्तराखंड टकटकी बांधे है। डबल इंजन को तब और ज्यादा ताकत मिली, जब हिमालयी राज्य की पीड़ा को 15वें वित्त आयोग ने सिर्फ समझा ही नहीं, उसका समाधान भी निकाला। आयोग की सिफारिशों के आधार पर अगले पांच वित्तीय वर्षों तक राज्य को 89845 करोड़ की राशि मिल सकेगी। राज्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर 2021-26 तक राजस्व घाटा अनुदान के रूप में 28,147 करोड़ की राशि मंजूर की गई है।
राज्य को हर वर्ष औसतन 5629 करोड़ की राशि मिलेगी। सबसे ज्यादा 7772 करोड़ वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य को मिलने हैं। आयोग की सिफारिश पर केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में उत्तराखंड को 47234 करोड़ मिलेंगे। हर वित्तीय वर्ष में राज्य को करीब 9446.80 करोड़ की राशि मिलेगी। इसके अतिरिक्त अगले पांच वर्षों में आपदा प्रबंधन मद में 5178 करोड़, शहरी व पंचायती निकायों के लिए 4181 करोड़ मिलेंगे। आयोग और केंद्रीय योजनाओं के रूप में मिलने वाले इस हौसले ने चुनावी वर्ष में राज्य की उम्मीदों में भी गुलाबी रंग घोल दिया है।
नतीजतन सरकार ने बड़े निर्माण कार्यों के लिए 7088.95 करोड़, लघु निर्माण कार्यों के लिए 77.88 करोड़ बजट में रखे। सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए 1152.88 करोड़, छात्रवृत्ति और स्टाइपेंड मद में 229.58 करोड़ का बंदोबस्त किया है। वेतन, भत्तों, पेंशन पर हो रहे 22 हजार करोड़ से ज्यादा खर्चये हाल तब है जब सिर्फ वेतन-भत्तों पर करीब 16422.51 करोड़, पेंशन व अन्य सेवानिवृत्ति लाभ पर 6400.19 करोड़ खर्च का बोझ सरकार पर है। ब्याज भुगतान के रूप में 6052.63 करोड़ और ऋणों की देनदारी पर भी 4241.57 करोड़ की राशि खर्च होनी है। वृहत और लघु निर्माण कार्यों के लिए महज 15 फीसद धनराशि ही सरकार के पास शेष है।