आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे शौर्य स्थल का उद्घाटन सीडीएस जनरल अनिल चौहान रहेंगे मौजूद

देहरादून: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज देहरादून पहुंचे हैं। उनके साथ चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान भी दून पहुंचेंगे। सीडीएस बनने के बाद जनरल चौहान का यह पहला दून दौरा है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी व सेना के कई वरिष्ठ अधिकारी भी इस दौरान मौजूद रहेंगे। रक्षा मंत्री गढ़ी कैंट-चीड़बाग में शौर्य स्थल का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद शहीद जसवंत सिंह मैदान (पूर्व में महिंद्रा ग्राउंड) में पूर्व सैनिकों व वीर नारियों को संबोधित करेंगे।

सोल आफ स्टील एल्पाइन चैलेंज का भी उद्घाटन

रक्षा मंत्री इस दौरान सोल आफ स्टील एल्पाइन चैलेंज का भी उद्घाटन करेंगे, जो भारतीय सेना और क्लाव ग्लोबल (विशेष बलों के दिग्गजों की ओर से संचालित एक संगठन) की अपनी तरह की एडवेंचर स्पोर्ट्स की संयुक्त पहल है।

भारतीय सेना की सबसे पुरानी ब्रिगेड आइबेक्स और वेटरन का स्टार्ट अप क्लाव ग्लोबल वर्ष 2019 में शुरू हुआ था। जो सोल आफ स्टील एल्पाइन चैलेंज का आयोजन करने के लिए आर्मी एडवेंचर विंग के बैनर तले एक साथ आए हैं।

सेना जरूरत पडऩे पर पहुंच, अनुमति और आकस्मिक सहायता के संदर्भ में इसे सहायता प्रदान करेगी। क्लाव भारतीय सेना की निर्धारित शर्तों के अनुसार इस अभियान की योजना बनाएगा और उसे चलाएगा। एमओयू के अनुसार अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों को सरकार की मंजूरी के अधीन पूरी निगरानी के साथ अभियान में भाग लेने की अनुमति है।

सबसे पुरानी ब्रिगेड है आइबेक्स

भारतीय सेना की आइबेक्स ब्रिगेड 1905 में स्थापित सबसे पुरानी ब्रिगेड है जो कि एकमात्र इंडिपेंडेंट माउंटेन ब्रिगेड भी है। जोशीमठ में स्थित यह ब्रिगेड उत्तरी सीमाओं की रक्षा के लिए मुस्तैद है। स्टील एल्पाइन चैलेंच चार चरणों में आयोजित की जाएगी। अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागी तीसरे चरण में इसमें प्रतिभाग करेंगे।

प्रतिभागी शनिवार को लांच होने वाली वेबसाइट पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। सैन्य अधिकारियों का कहना है कि इस साहसिक अभियान से रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और राज्य में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

सोल आफ स्टील प्रतिभागियों को गढ़वाल हिमालय में पर्वतारोहण के लिए भी प्रशिक्षित करेगा। अभियान के अंतिम चरण में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली छह सदस्यीय टीम को शारीरिक व मानसिक गतिविधियों की एक श्रृंखला के माध्यम से चुना जाएगा।

देवभूमि की शौर्य गाथा समेटे है शौर्य स्थल

देश के सैन्य इतिहास में देवभूमि के रणबांकुरों के शौर्य के असंख्य किस्से दर्ज हैं। उनके इस अदम्य साहस और बलिदान के प्रतीक के रूप में पूर्व राज्य सभा सदस्य तरुण विजय की पहल पर युद्ध स्मारक की नींव रखी गई थी।

उन्होंने अपनी निधि से इस काम के लिए दो करोड़ रुपये की मदद दी थी। यही नहीं उनकी अध्यक्षता में गठित उत्तराखंड वार मेमोरियल ट्रस्ट के माध्यम से भी तमाम सुविधाएं यहां जुटाई गईं।

देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरभूमि उत्तराखंड के सैनिकों के नाम यहां दर्ज हैं। वहीं, वीर जवान की मुख्य मूर्ति के आधार के लिए बदरीनाथ क्षेत्र से छह फीट की करीब साढ़े नौ टन वजनी विशेष आधार शिला भी लाई गई।

युवा पीढ़ी को फौज के प्रति आकर्षित करने के उद्देश्य से विजयंत टैंक, लड़ाकू विमान मिग-21 व नौसेना के युद्धपोत (विद्युत वर्ग) की प्रतिकृति भी यहां स्थापित है। उत्तराखंड वार मेमोरियल ट्रस्ट ने बीती नौ दिसंबर को शौर्य स्थल सेना को हस्तांतरित कर दिया है।

वीर बलिदानियों के स्वजन ने दी श्रद्धांजलि

देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों के स्वजन ने शौर्य स्थल के उद्घाटन की पूर्व संध्या पर बलिदानियों को नम आंखों से श्रद्धा सुमन अर्पित किए। पूर्व राज्य सभा सदस्य और युद्ध स्मारक के संस्थापक अध्यक्ष तरुण विजय एवं छावनी परिषद देहरादून के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभिनव सिंह ने उनकी अगवानी की।

बलिदानी मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल की मां सरोज ढौंडियाल, बलिदानी मेजर चित्रेश बिष्ट की मां रेखा व पिता एसएस बिष्ट, राइफलमैन जसवंत सिंह रावत के स्वजन ने थरथराते हाथों से उन पंक्तियों को स्पर्श किया जहां उनके बेटों व पुरखों के नाम शौर्य दीवार पर अंकित हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.