उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता के तहत विभिन्न सेवाओं के लिए पंजीकरण कराते समय दी गई व्यक्तिगत जानकारी पूरी तरह से गोपनीय रहेगी। किसी भी तीसरे व्यक्ति को इस जानकारी तक पहुंच नहीं होगी। केवल पंजीकरण की संख्या ही सार्वजनिक होगी। अपर सचिव गृह निवेदिता कुकरेती ने स्पष्ट किया है कि समान नागरिक संहिता में गोपनीयता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता के अंतर्गत विभिन्न सेवाओं का पंजीकरण कराने के समय दी जाने वाली जानकारी तक किसी तीसरे व्यक्ति की पहुंच नहीं होगी। केवल पंजीकरण की संख्या ही सार्वजनिक हो सकेगी और इसमें किसी भी तरह की व्यक्तिगत जानकारी शामिल नहीं होगी। राज्य में समान नागरिक संहिता लागू हो चुकी है। यद्यपि इसमें पंजीकरण के समय दी जाने वाली सूचनाओं की गोपनीयता को लेकर संशय बना हुआ है।
इस पर अब शासन ने स्पष्ट किया है कि पंजीकरण के अंतर्गत दी जाने वाली सूचना किसी अन्य के साथ साझा नहीं की जाएगी। अपर सचिव गृह निवेदिता कुकरेती के मुताबिक समान नागरिक संहिता में गोपनीयता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
इसमें किसी भी सेवा के लिए दी जाने वाली निजी जानकारी का विवरण जिसमें नाम, पता, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, धर्म व जाति आदि का विवरण किसी भी स्तर पर सार्वजनिक नहीं होगा। सार्वजनिक रूप से संहिता के तहत पंजीकरण की संख्या उपलब्ध होगी, जो अब वेबसाइट पर भी नजर आ रही है।
इसके अलावा जिस व्यक्ति ने समान नागरिक संहिता के तहत आवेदन किया हो, सिर्फ वही व्यक्ति खुद या किसी अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त आवेदन के जरिये खुद के आवेदन से संबंधित जानकारी की मांग कर सकता है। इसके अलावा किसी भी व्यक्ति तक सूचनाओं की पहुंच नहीं है।
अपर सचिव ने बताया कि संहिता के तहत होने वाले पंजीकरण की जानकारी भी थाना पुलिस तक सिर्फ रिकार्ड के लिए भेजी जाएगी। पंजीकरण में दिए गए विवरण तक संबंधित थाना प्रभारी की पहुंच केवल वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की निगरानी में हो सकेगी। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी स्तर पर सूचनाओं का दुरुपयोग होता है तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।