मुंगेर अयोध्या में बनने वाले प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर में जमालपुर की काली पहाड़ी के पत्थरों का भी उपयोग हो सकता है। राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट से जुड़े कामलेश्वर चौपाल के नेतृत्व में एक टीम जमालपुर आएगी। यह इन पत्थरों के नमूनों की जांच लैब में कराएगी। यदि सब कुछ सही रहा तो इस दिशा में आगे का काम किया जाएगा।
जमालपुर के इतिहासकार और अधिवक्ता निर्मल कुमार सिंह, विहिप से जुड़े भवेश चौधरी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बसंत राणा ने काली पहाड़ी के पौराणिक और धार्मिक महत्व के बारे में कामेश्वर चौपाल को जानकारी दी थी।
300 वर्ष पुरानी मां काली की है प्रतिमा : जमालपुर से अमझर कोलकाली तक फैली काली पहाड़ी पर 300 वर्ष से अधिक प्राचीन मां काली की काले पत्थर की प्रतिमा है। इसे इसी पहाड़ी के क्वार्टजाइट पत्थर को तराश कर बनाया गया है। इतिहासकार निर्मल सिंह बताते हैं कि कहलगांव व मंदार आदि जगहों पर खुदाई के दौरान मिली प्रतिमाओं के भी काली पहाड़ी के पत्थर से बने होने की बातें सामने आई है। महाभारत काल से भी इसका जुड़ाव रहा है। वनवास के दौरान पांडवों ने इस पहाड़ी पर कुछ समय व्यतीत किया था।
होता था स्लेट का निर्माण : काली पहाड़ी के पत्थर से कभी स्लेट का निर्माण होता था। इस काम से सैकड़ों लोग जुड़े हुए थे। बाद में राज्य सरकार ने पत्थर उत्खनन पर रोक लगा दी। इस कारण स्लेट का कारोबार भी लगभग बंद हो गया। हालांकि, माफिया इसके पत्थरों की तस्करी कर रहे हैं। वन विभाग के रेंजर विनय कुमार ने बताया कि तस्करी रोकने के लिए वन रक्षक और गार्ड की प्रतिनियुक्ति की गई है।
श्रीराम मंदिर में जमालपुर की काली पहाड़ी के पत्थरों के इस्तेमाल के लिए राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण ट्रस्ट से जुड़े कामेश्वर चौपाल एवं प्रस्तरीय मूर्ति विशेषज्ञ दल को आमंत्रित किया गया है। ये पत्थरों की जांच करेंगे। अगर अयोध्या के श्रीराम मंदिर निर्माण में काली पहाड़ी के पत्थरों का उपयोग होता है, तो यह काली पहाड़ी के लिए गौरव की बात होगी। – निर्मल कुमार सिंह, इतिहासकार सह अधिवक्ता