देहरादून। कोरोनाकाल के दौरान बच्चों की आनलाइन शिक्षा को लेकर विपक्ष ने सरकार को सदन में घेरने का प्रयास किया। विपक्ष ने चिंता जताते हुए कहा कि कोरोनाकाल के दौरान बच्चों का आर्थिक वर्गीकरण हुआ है। जहां सक्षम बच्चों की पढ़ाई सुचारू रही, वहीं गरीब बच्चों की पढ़ाई सबसे अधिक प्रभावित हुई है। इन बच्चों की पढ़ाई के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम नाकाफी साबित हुए हैं। पूर्व में ऐसे घटनाक्रम भी हुए, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री के जनप्रतिनिधियों से संवाद कार्यक्रम में ही कुछ केंद्र आनलाइन नहीं हो पाए तो वर्चुअल कक्षाओं की क्या गारंटी है। पर्वतीय क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की दिक्कत है। सरकार को इस ओर गंभीरता से मनन करने की जरूरत है। वहीं, सरकार ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं।
शुक्रवार को सदन में नियम 58 के तहत मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन ने कोरोनाकाल में बच्चों की शिक्षा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि शिक्षा पर लगातार जोर देने की बात कही जा रही है। केंद्र ने शिक्षा का बजट कुल बजट का छह प्रतिशत कर दिया है। प्रदेश में ऐसी व्यवस्था नहीं है। आनलाइन कक्षाओं के लिए मोबाइल, लैपटाप और टैबलेट आदि की जरूरत होती है।
गरीब बच्चों के पास ये नहीं हैं। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। सरकार सभी बच्चों को एंड्रायड फोन उपलब्ध कराए। सरकार की ओर से जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार शिक्षा पर पूरा ध्यान दे रही है। हर ब्लाक में दो-दो अटल उत्कृष्ट विद्यालय खोले जा रहे हैं। 500 वर्चुअल क्लास चलाई जा रही हैं। 600 नई और क्लास शुरू की जाएंगी।
उन्होंने कहा कि दूरदर्शन के ज्ञानदीप कार्यक्रम के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ाई कराई जा रही है। ऊर्जा विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि इस कार्यक्रम के दौरान विद्युत आपूर्ति बहाल रखे। सामुदायिक रेडियो के माध्यम से भी पढ़ाई कराई गई। सरकार बच्चों को शिक्षा देने को प्रतिबद्ध है।