मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फूल माला पहनकर सदन में प्रवेश करने को मुद्दा बनाते हुए विपक्ष ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया। इस मामले में पीठ ने अपना विनिश्चय सुरक्षित रखा।
हुआ यूं कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए जाने के उपलक्ष्य में क्षेत्रीय जनता की ओर से गुरुवार को विधानभवन के बाहर मुख्यमंत्री का आभार जताया गया। इस दौरान लोगों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। तभी सदन की कार्यवाही शुरू होने पर मुख्यमंत्री फूल माला पहले सदन में प्रवेश कर गए। इस पर कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने संसदीय प्रक्रियाओं का हवाला देते हुए व्यवस्था का प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा कि संसदीय प्रक्रिया में स्पष्ट उल्लेख है कि सदन में बैज लगाकर आना और फूल माला पहनकर आना निषिद्ध है। उन्होंने कहा कि नेता सदन ही परंपरा का पालन नहीं करेंगे तो क्या संदेश जाएगा। सदन में प्रवेश करने से पहले वह माला उतार सकते थे। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा से विपक्ष बेहाल है। साथ ही विपक्ष पर निशाना साधा कि वेल में आना, नारेबाजी करना, पीठ की तरफ बढ़ना ये कौन सी परंपरा है। उन्होंने कहा कि आज लोगों में उत्साह है और मुख्यमंत्री माला पहनकर आ गए तो इसमें गलत क्या हुआ। पीठ ने इस मामले में अपना विनिश्चय सुरक्षित रखने की बात कही।
राजभवन ने लौटाया जीना विवि विधेयक, विस में फिर पारित
सरकार अब सामाजिक, आर्थिक व प्रशासनिक आधार पर राज्य के किसी भी क्षेत्र में शराबबंदी लागू कर सकेगी। इस अधिकार का हासिल करने को सरकार ने उत्तराखंड (संयुक्त प्रांत आबकारी अधिनियम, 1910) (संशोधन) विधेयक को विधानसभा में पारित किया। इससे पहले सरकार को सिर्फ चिह्नित प्रतिबंधित क्षेत्रों में ही मद्य निषेध का अधिकार था। उक्त विधेयक समेत कुल दस विधेयक गुरुवार को विधानसभा में पारित किए गए। उत्तराखंड सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय को राज्यपाल ने सरकार को लौटाया। अब इस विधेयक को राज्य सरकार ने दोबारा विधानसभा से पारित कराया।
प्रदेश में अब नगरपालिकाओं और नगर पंचायतें भी गृहकर की स्वकर प्रणाली लागू कर सकेंगी। इस संबंध में उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1916)(संशोधन) विधेयक पारित किया गया है। इससे पहले स्वकर प्रणाली प्रदेश के आठ नगर निगमों में लागू की गई। निगमों की आमदनी में इजाफा होने के बाद सरकार ने अब इसे नगरपालिका परिषदों और नगर पंचायतों में भी लागू करने का रास्ता साफ कर दिया है। इसी तरह ग्राफिक एरा पर्वतीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक पर सदन की मुहर लग गई। इस विधेयक के लागू होने के बाद कुमाऊं मंडल के नैनीताल अथवा ऊधमसिंह नगर जिले में इस विश्वविद्यालय का परिसर स्थापित किया जा सकेगा।
ये दस विधेयक हुए पारित:
- उत्तराखंड सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय।
- उत्तराखंड संयुक्त (संयुक्त प्रांत आबकारी अधिनियम) (संशोधन) विधेयक।
- ग्राफिक एरा पर्वतीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक।
- यूनिर्विसटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी रुड़की।
- उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959)(संशोधन) विधेयक।
- उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1916)(संशोधन) विधेयक।
- उत्तराखंड साक्षी संरक्षण विधेयक।
- उत्तराखंड पंचायतीराज (संशोधन) विधेयक।
- उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद अधिनियम, 1995) (संशोधन) विधेयक।
- उत्तराखंड उपकर (संशोधन) विधेयक।