प्रदेश सरकार की ओर से दावा किया गया है कि औद्योगिक विकास को लेकर बनाई गई नीतियों का असर अब दिखाई देने लगा है। राज्य नियोजन संस्थान के अर्थ एवं संख्या प्रभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 के प्रथम तिमाही (अप्रैल से जून 2021) तक प्रदेश की आर्थिक प्रगति बेहतर रही है। सकल राज्य उत्पाद (जीएसडीपी) में 19.6 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है। यह अनुमान वर्ष 2011-12 के स्थिर भावों पर आधारित है।
आर्थिक विशेषज्ञों के इस आकलन से वित्त मंत्री सुरेश खन्ना भी सहमत हैं। वह कहते हैं कि कोरोना से बचाव व इलाज के बीच चालू वित्तीय वर्ष में प्रदेश की आर्थिक व कारोबारी गतिविधियों में अपेक्षा से अधिक सुधार नजर आ रहा है। इस वित्तीय वर्ष में अक्टूबर तक प्रदेश सरकार के खजाने में पिछले वर्ष की तुलना में 22.109 करोड़ रुपये ज्यादा पहुंच चुके हैं। यही स्थिति रही तो वित्तीय वर्ष के बचे पांच महीनों में आर्थिक व कारोबारी गतिविधियों में बड़े उछाल की उम्मीद की जा रही है। अर्थ व्यवस्था में सुधार के पीछे तर्क है कि बीते वर्ष कोरोना संकट के दौरान लगाए गए लाकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थीं।
लाकडाउन हटाए जाने के बाद धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों को शुरू किया गया। उस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आर्थिक गतिविधियां तेज करने के लिए छोटे कारोबारियों से लेकर बड़े उद्योगपतियों से सीधे वार्ता की। निर्यात कारोबार को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की रियायतें देने का ऐलान किया। इसके अलावा भी कई अहम फैसले रहे। दावा किया गया है कि शेयर बाजार में भी प्रदेश की स्थिति मजबूत हुई है। यूपी के निवेशक शेयर बाजार में अप्रत्याशित प्रदर्शन कर रहे हैं। बाम्बे स्टाक एक्सचेंज में प्रदेश के 50 लाख से अधिक निवेशक कारोबार कर रहे हैं। इससे शेयर बाजार में यूपी तीसरी ताकत बन गया है। अब महाराष्ट्र और गुजरात के बाद प्रदेश का स्थान है।