गोरखपुर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक ड्रीम प्रोजेक्ट तरकुलानी रेग्युलेटर 47 गांवों के 32 हजार लोगों के जीवन में नया बदलाव लेकर आया है। साल भर में चार महीने तक डूबे रहने वाले इन गांवों के करीब सात हजार 13 एकड़ खेतों में अब जल जमाव से मुक्ति मिल जाएगी और यहां के किसान भी अब साल में दो फसल बो और काट सकेंगे। करीब 85 करोड़ रुपये की लागत की इस परियोजना का मुख्य कार्य पूरा हो चुका है।
अभी तक एक ही फसल बोते और काटते आए हैं इन गांवों के लोग
गोरखपुर से सटे 47 गांवों के किसान जलनिकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण केवल एक फसल ही अपने खेतों में बोते थे। बरसात के समय यहां पानी भर जाता था और लंबे समय तक रहता था। सांसद रहते हुए ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस क्षेत्र की स्थिति बदलने के लिए लड़ाई लड़ी थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद ही उन्होंने तरकुलानी में रेग्युलेटर का प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की और इसका निर्माण भी शुरू हो गया। रेग्युलेटर का पंप हाउस बनकर तैयार है और अब आसानी से शहर के कुछ हिस्सों सहित इन गांवों का पानी गोर्रा नाला के जरिए बाहर निकल जाएगा। खेतों में पानी न लगने से लोग अब आसानी से दोनों फसल बो सकेंगे।
कोरोना की दो लहरों के बावजूद समय से तैयार हुआ रेग्युलेटर
इस परियोजना को मंजूरी दिलाने के साथ ही मुख्यमंत्री ने इसकी प्रगति की नियमित समीक्षा भी की। पिछले 16 महीने से कोरोना महामारी के कारण विकास योजनाओं की प्रगति पर विपरीत असर पड़ा है। इस बीच दो लहर झेलने के बावजूद सिंचाई विभाग ने इस काम को पूरा कर लिया।
यह होगी रेग्युलेटर की क्षमता
सदर तहसील में राप्ती नदी के बाएं तट पर स्थित मलौनी तटबंध के किलोमीटर 30.30 पर तरकुलानी रेग्युलेटर के निकट यह पंङ्क्षपग स्टेशन बनाया गया है। इससे 300 क्यूसेक पानी बाहर निकाला जा सकता है। इसमें 30 क्यूसेक के 11 पंप जबकि 10 क्यूसेक के 10 पंप लगाए गए हैं। 10 जून 2017 को केंद्रीय जल आयोग ने इस परियोजना को स्वीकृत किया था और एक फरवरी 2018 को काम शुरू हो गया। 15 जून 2021 को पंङ्क्षपग स्टेशन का काम पूरा किया जा चुका है। नाले में 71 मीटर जलस्तर रहने पर पंपिंंग शुरू होगी और 74 मीटर तक जारी रखी जाएगी। 71 मीटर होने पर 10 क्यूसेक के तीन पंप चलेंगे जबकि 74 मीटर के करीब जलस्तर होने पर 300 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया जाएगा।
तरकुलानी रेग्युलेटर की परियोजना 84.86 करोड़ की है। 65 करोड़ का काम हो चुका है, इसमें पंङ्क्षपग स्टेशन पूरा हो चुका है। विकास से जुड़े कुछ कार्य शेष हैं। कोरोना की दो लहरों के बावजूद काम को तेजी से किया गया। पंप स्टेशन शुरू हो जाने से करीब सात हजार एकड़ क्षेत्रफल में किसान दो फसल उगा सकेंगे। – आलोक जैन, मुख्य अभियंता, सिंचाई विभाग।