सोमेश्वर विधानसभा में पहले से ही बीजेपी की ओर से रेखा आर्या का नाम फाइनल माना जा रहा था। उनके कद का दूसरा दावेदार वहां नहीं था। धनबल, संगठन में मजबूत पकड़ रेखा आर्या को टिकट दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
रेखा आर्या का सोमेश्वर से राजनीतिक कैरियर 2003 से हुआ जब वह पहली बार जिला पंचायत सदस्य बनी। इसके बाद वर्ष 2012 में उन्होंने सोमेश्वर विधानसभा से चुनाव लड़ा। उनकी धमाकेदार इंट्री हुई। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर पर रही। उसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए। 2014 में सामेश्वर विधानसभा की सीट खाली हो गई। तब के यहां के विधायक अजय टम्टा लोकसभा चुनाव लड़े और जीतकर संसद पहुंचे। 2014 में सोमेश्वर विधानसभा से रेखा आर्या ने कांग्रेस के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीती।
वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रेखा आर्या बीजेपी में शामिल हो गई और बीजेपी के टिकट पर विधानसभा पहुँची। बीजेपी ने उन्हें राज्य मंत्री बनाया। रेखा आर्या अपने धनबल के कारण अपने क्षेत्र में अलग रसूख रखती है। उनके पति गिरधर साहू है। इसी धनबल से उन्होंने इन पांच सालों में संगठन में भी दबदबा बनाया। उन्हें भगत सिंह कोश्यारी, अजय भट्ट का करीबी माना जाता है। वैसे बीजेपी के पास सोमेश्वर विधानसभा में दूसरी लाइन में रेखा आर्या के बराबर कद का भी कोई नेता नहीं है। एक अजय टम्टा थे जो लुटियंस दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हैं। इसलिए इस सीट पर पार्टी को कोई ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं पड़ी। उनके टिकट के बाद किसी प्रकार के बगावत की भी आशंका भी नहीं है।