काठबंगला बस्ती में कार्रवाई के विरोध में क्षेत्रवासियों ने जमकर किया प्रदर्शन

देहरादून  रिस्पना नदी के किनारे अवैध कब्जे हटाने को लेकर शुरू की गई एमडीडीए की कार्रवाई का बस्तीवासियों ने भारी विरोध किया। पहले दिन काठबंगला बस्ती में 26 निर्माण ध्वस्त करने के बाद मंगलवार को भी टीम गब्बर बस्ती में अतिक्रमण हटाने पहुंची, लेकिन यहां कार्रवाई नहीं की जा सकी।

बस्ती में एक महिला की हार्ट अटैक से मौत के बाद क्षेत्रवासियों ने खूब हंगामा काटा और सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन किया। आरोप है कि घर तोड़ने का नोटिस मिलने के कारण महिला को हार्ट अटैक आया है।

बड़ी संख्या में अतिक्रमण ध्वस्त

बीते सोमवार को काठबंगला बस्ती में बड़ी संख्या में अतिक्रमण ध्वस्त किए गए। इस दौरान गब्बर बस्ती में एक महिला की मौत हो गई। मंगलवार को भी एमडीडीए की टीम भारी पुलिस फोर्स के साथ काठबंगला और आसपास के क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाने पहुंची। लेकिन काठबंगला बस्ती और गब्बर बस्ती के बीच पुल के पास भारी भीड़ एकत्रित हो गई।

आक्रोशित लोगों ने महिला की मौत के लिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को जिम्मेदार ठहराया। सड़क जाम करते हुए बस्तीवासियों ने कार्रवाई का विरोध किया, जिस पर पुलिस फोर्स ने सख्ती दिखाते हुए उन्हें खदेड़ने का प्रयास किया। काफी देर तक हंगामा चला और प्रदर्शनकारी नहीं माने। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने वहां से गुजर रहीं प्रमुख सचिव के वाहन को भी रोक दिया। पुलिस ने भीड़ हटाकर गाड़ी को निकाला।

इस पर पुलिस ने कुछ व्यक्तियों को हिरासत में लिया और लाठियां फटकार कर भीड़ को खदेड़ा। हालांकि, इसके बावजूद एमडीडीए की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई। टीम ने ध्वस्तीकरण के अभियान को एक दिन के लिए टाल दिया। बुधवार को इस क्षेत्र में अतिक्रमण ध्वस्त किया जाएगा।

अवैध निर्माण पर लाल निशान

एमडीडीए की टीम ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को एक दिन के लिए रोकते हुए गब्बर बस्ती में अवैध निर्माण पर लाल निशान लगाए। बस्तीवासियों के आधार कार्ड, बिजली और पानी के बिल जांचे गए और वर्ष 2016 के बाद निर्माण मिलने पर उनके भवन पर निशान लगा दिया गया।

एमडीडीए की टीम ने सूची के अनुसार अवैध निर्माण पर लाल पेंट से संबंधित का नाम लिखा। बस्ती में 30 अतिक्रमण चिह्नित किए गए। हालांकि, बताया जा रहा है कि लाल निशान को बस्तीवासियों की ओर से मिटाने का भी प्रयास किया जा रहा है।

लाखों में खरीदे मकान और अब हो रहे बेघर

गब्बर बस्ती निवासियों ने कहा कि उन्होंने लाखों रुपये में यहां मकान व जमीन खरीदी है। उन्हें स्टांप पेपर पर जमीनें बेची गईं। अब लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी उनके सिर से छत छीनी जा रही है। कई ऐसे लोग थे जिन्होंने वर्षा 2022 में यहां मकान खरीदा, लेकिन अवैध बताकर उन्हें तोड़ा जा रहा है। तीन से चार लाख रुपये में जमीन खरीदी और फिर मकान के निर्माण में भी करीब छह से सात लाख रुपये खर्च कर दिए और अब बेघर होने की कगार पर हैं।

बस्तीवासियों ने उठाई मालिकाना हक देने की मांग

ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का विरोध कर रहे बस्तीवासियों ने मालिकाना हक देने और बस्तियों का नियमितीकरण करने की मांग उठाई है। उन्होंने राजनीतिक दलों पर भी निशाना साधा। कहा कि वोट बैंक की राजनीति के लिए बस्तीवासियों को नियमितीकरण का झूठा आश्वासन दिया जाता है। जबकि आज तक किसी भी दल की सरकार ने इसे लागू नहीं किया।

कांग्रेस ने सरकार पर लगाया बस्तियां उजाड़ने का आरोप

पूर्व विधायक राजकुमार ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार बस्तियों को उजाड़कर गरीबों को बेघर कर रही है। कांग्रेस सरकार के समय में बस्तियों के नियमितीकरण को लेकर काम किया गया, लेकिन भाजपा सरकार ने मालिकाना हक को लेकर नीति नहीं बनाई। आगामी अक्टूबर में अध्यादेश की अवधि खत्म हो रही है। अब सरकार को अध्यादेश नहीं मालिकाना हक को लेकर कानून लाना चाहिए।

कांग्रेस के पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने कहा कि बस्तियों में अतिक्रमण के नाम पर गरीबों का उत्पीड़न किया जा रहा है। बरसात के मौसम में गरीबों को बेघर किया जा रहा है। एमडीडीए की ओर से बस्तियों में लाल निशान और नोटिस देने की कार्रवाई के कारण एक महिला को हार्ट अटैक आ गया। कांग्रेस की मांग है कि बस्तियों का नियमतीकरण हो और पुनर्वास के लिए ठोस योजना बनाई जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.