पुलवामा में आतंकवादियों से मुढ़भेड़ में शहीद हुए चम्पावत के राहुल रंसवाल, वायुसेना के हेलीकॉप्‍टर से लाया गया पार्थिव शरीर

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों से मुढ़भेड़ में शहीद हुए चम्पावत के कनलगांव निवासी राहुल रंसवाल पार्थिव शरीर बरेली से सेना के हेलिकॉप्‍टर से एसएसबी कैंप चंपावत लाया गया। जहां से सेना के वाहन में उनके घर तक ले जाया गया। इस दौरान रास्‍ते में पार्थिव शरीर के साथ लोगों की भीड़ बढ़ती गई। जब तक सूरज-चांद रहेगा राहुल तेरा नाम रहेगा… जैसे गगनभेदी नारों से आमसमान गूंजता रहा। शहीद के घर पर प्रशासन के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और क्षेत्रीय लोगों का जमावड़ा लगा है। हर कोई परिजनों को सांत्‍वना दे रहा है।

शहादत की खबर से परिजनों में कोहराम

राहुल के शहादत की खबर मिलने के बाद से परिवार व गांव में कोहराम मचा है। मां हरू देवी, पत्नी पिंकी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। वहीं पिता फूटफूटकर रोते हुए बहू और पत्‍नी को संभालने की कोशिश कर रहे हैं। दु:ख और पीड़ा की इस घड़ी में उन्‍हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व भी है। बार-बार वे तिरंगे को चूमकर भारत माता की जय के गगन भेदी नारे लगा रहे थे। राहुल अपनी पीढ़ी के तीसरे जवान थे, तो देश सेवा के लिए आर्मी में शामिल हुए थे।

2012 में 50वीं राष्ट्रीय राइफल्स में हुए थे भर्ती

स्थानीय जनप्रतिनिधि भी सुबह से ही डटे रहे। शहीद राहुल रंसवाल मूल रूप से नेपाल सीमा से लगे तामली के बमन गांव के रहने वाले थे जो पिछले कई वर्षों से अपने कनलगांव स्थित मकान में माता पिता और बच्चों के साथ रह रहे थे। 27 वर्षीय राहुल रंसवाल वर्ष 2012 में 50 वीं राष्ट्रीय राइफल्स में भर्ती हुए थे। वर्तमान में वह जम्मू कश्मीर के पुलवामा में तैनात थे और मंगलवार को अपने साथी जवानों के साथ आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए।

वर्ष 2018 में हुई थी राहुल की शादी

सेना में भर्ती होने के बाद राहुल रंसवाल की शादी 26 अप्रैल 2018 को मेरठ से हुई थी। राहुल अपनी पत्नी पिंकी के साथ आठ माह की बेटी सान्वी को भी छोड़ गए हैं। राहुल के पिता वीरेंद्र सिंह रंसवाल ने बताया कि आरआर में उसका टर्नओवर पूरा हो गया था शीघ्र ही वह अपने मूल रेजीमेंट में लौटने वाले थे।

सात फरवरी को जेठू की शादी में आने वाले थे मेरठ

राहुल रंसवाल की जेठू की शादी सात फरवरी को होनी है। राहुल ने शादी में शामिल होने के लिए श्रीनगर से दिल्ली तक फ्लाइट की बुकिंग भी कर ली थी और चम्पावत से पत्नी और बच्ची को बुलाने का इंतजाम भी कर दिया था। लेकिन क्या पता था कि विधि का विधान के आगे उनकी सारी योजना धरी रह जाएगी।

देश सेवा में तीसरी पीढी का नेतृत्व कर रहे थे राहुल

शहीद राहुल रंसवाल देश सेवा में अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी का नेतृत्व कर रहे थे। उनके दादा स्व. शिवराज सिंह कुमाऊं रेजीमेंट और पिता वीरेंद्र सिंह रंसवाल आसाम राइफल्स में रह चुके हैं। वीरेंद्र के बड़े भाई राजेंद्र सिंह रंसवाल इस समय 15 कुमाऊं में तैनात होकर देश सेवा कर रहे हैं।

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