नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में गुरुवार को अयोध्या जमीन विवाद की सुनवाई शुरू हो गई है। रामलला की ओर से वकील के. परासरन अपना पक्ष रख रहे हैं। परासरन ने एक श्लोक- ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादिप गरीयसि’ श्लोक का हवाला देते हुए कहा, ‘जन्मभूमि बहुत महत्वपूर्ण होती है। राम जन्मस्थान का मतलब है एक ऐसा क्षेत्र जहां सभी की आस्था और विश्वास है।’
मामले की सुनवाई मंगलवार से ही प्रतिदिन हो रही है। आज इस हफ्ते की आखिरी सुनवाई है। बुधवार को इस मामले में निर्मोही अखाड़े की ओर से दलीलें पेश की गई थी। कोर्ट ने अखाड़े से कई दस्तावेज मांगे जिसके लिए उसके वकील ने कहा कि डकैती में सारे कागजात खो गए।
मध्यस्थता के माध्यम से कोई आसान हल नहीं निकलने पर सुप्रीम कोर्ट में मामले की रोजाना सुनवाई करने का फैसला किया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ मामले की सुनवाई कर रही है।
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा से दस्तावेज से जुड़े सबूतों पर अपना अधिकार साबित करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या आपके पास कुर्की से पहले राम जन्मभूमि के कब्जे का मौखिक या लिखित सबूत रिकॉर्ड में है ? जिसके जवाब में निर्मोही अखाड़ा ने कहा है, ‘1982 में एक डकैती हुई थी, इसमें उन्होंने रिकॉर्ड खो दिए।’ जस्टिस अशोक भूषण ने कहा- खतौनी का रिकॉर्ड कहां है? अखाड़ा ने कहा कि हम हैंडीकैप हैं।
इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि खतौनी भी डाकू ले गए? इस पर निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि हमें नहीं पता, उपलब्ध कागजात देंगे। इस बीच वकील के.परासरन ने वाल्मीकि रामायण का हवाला देते हुए कहा कि भगवान राम का अयोध्या में जन्म हुआ था। यह रामजन्मभूमि है। इतने लंबे समय बाद यह साबित करना मुश्किल है कि जन्म ठीक किस जगह हुआ था लेकिन लाखों लोगों की आस्था और विश्वास है कि यह राम जन्म स्थान है। राम जन्मभूमि स्थान देवता की पहचान बन गया है। श्रीराम का जन्म होने के कारण ही हिंदुओं के लिए यह जगह ज्यादा पूज्य है।
परासरन ने कहा कि ऐसे उद्धरण पौराणिक ग्रंथों में कई जगह मिलते हैं जिनमें यह साक्ष्य पुष्ट होता है कि यही वह स्थान है जहां भगवान श्रीराम ने जन्म लिया। ब्रिटिश राज में भी इस्ट इंडिया कंपनी ने जब इस स्थान का बंटवारा किया तो मस्जिद की जगह को राम जन्म स्थान का मंदिर माना।
उन्होंने आगे कहा कि इतने साल बाद आप कैसे साबित करेंगे कि राम का जन्म यहीं हुआ, यह आस्था की बात है। ऐतिहासिक साक्ष्य देते हुए उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में भी तब की अदालत ने एक फैसले में वहां बाबर की बनाई मस्जिद और जन्मस्थान मंदिर का जिक्र किया है।