प्याज सहित अन्य सब्जियों के दाम में बढ़ोत्तरी के कारण नवंबर में थोक महंगाई दर (WPI) में 0.58 फीसद की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इससे पहले अक्टूबर में WPI में 0.16 फीसद की वृद्धि हुई थी। उद्योग विभाग की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक नंवबर में खाने-पीने के सामान की थोक कीमतों में 11.08 फीसद की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इससे पहले अक्टूबर में डब्ल्यूपीआई 9.8% पर थी। प्याज की कीमतों में सबसे अधिक 172.3% की वृद्धि दर्ज की गई।
हालांकि, मैन्यूफैक्चर्ड सामानों की मुद्रास्फीति लगातार तीसरे महीने नकारात्मक (-0.84%) रही। यह नीचे आती इकोनॉमी में उत्पादकों के कमजोर प्राइसिंग पावर को दिखाता है। डिमांड में कमी के कारण देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार सितंबर में घटकर 4.5 फीसद रह गई।
उल्लेखनीय है कि नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) में 5.54% की वृद्धि दर्ज की गई। पिछले महीने खाने-पीने के सामान की कीमतों में 10 फीसद तक की बढ़ोत्तरी हुई। इस साल नवंबर में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में सब्जियों की कीमत में 36 फीसद तक की वृद्धि दर्ज की गई। अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 7.89 फीसद के स्तर पर रही थी।
बढ़ती महंगाई के खतरे को देखते हुए ही RBI ने इस महीने की शुरुआत में रेपो रेट को यथावत बनाये रखने का फैसला किया था। देश की जी़डीपी वृद्धि की रफ्तार के छह साल के न्यूनतम स्तर पर आने के बाद आरबीआई के इस कदम ने सभी विश्लेषकों को चौंका दिया था, जो इस साल छठी बार रेपो रेट में कमी की उम्मीद कर रहे थे।