फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में सामने आई गड़बड़ी के विरोध में एनएसयूआइ कार्यकर्ताओं ने वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के यमुना कॉलोनी स्थित घर के बाहर जमकर हंगामा किया। इस दौरान उनकी पुलिस के साथ जमकर धक्का-मुक्की हुई। बेरिकेडिंग तोड़कर मंत्री के आवास में घुसने की कोशिश कर रहे तीस कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, हालांकि बाद में सभी को निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया।
बड़ी संख्या में एनएसयूआइ कार्यकर्ता यमुना कॉलोनी चौक पर एकत्रित हुए। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने वन मंत्री के आवास की तरफ कूच किया। मंत्री के आवास के बाहर पहले से ही पुलिस बल मौजूद था। कार्यकर्ताओं ने पहले नारेबाजी की और फिर बेरिकेडिंग तोड़ते हुए आगे बढ़ने लगे। इस दौरान उनकी पुलिस में काफी देर तक बहस भी हुई। साथ ही धक्का-मुक्की भी हुई।
विरोध करने वालों में प्रदेश सचिव आयुष गुप्ता, जिलाध्यक्ष सौरभ ममगाई, गौरव सागर, हरिओम भट्ट, नित्यानंद कोठियाल, संदीप धीमान, आदित्य बिष्ट, हिमांशु रावत, विपुल गौड़, उदित थपलियाल, अक्षित रावत, अंकित बिष्ट, समीर अंसारी, गौरव कोरंगा, आर्यन सेमवाल, सिद्धार्थ अग्रवाल, गौरव रावत आदि शामिल रहे।
प्रदेश प्रभारी को उठा ले गई पुलिस
एनएसयूआइ के कार्यकर्ताओं को बेकाबू होते देख पुलिस ने आनन-फानन में गिरफ्तारी शुरू कर दी। एनएसयूआइ प्रदेश प्रभारी प्रभारी अनुशेष शर्मा को पुलिस सबसे पहले गाड़ी में डालकर मौके से ले गई। इसी बीच छात्रों के बढ़ते हंगामे को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी समेत दो दर्जन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर सुद्धोवाला जेल परिसर ले जाया गया। एसओ कैंट संजय मिश्रा ने बताया कि हंगामा करते तीस कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर सुद्धोवाला जेल परिसर ले जाया गया, वहां निजी मुचलके पर रिहा कर दिए गया।
राज्य सरकार के नाकामी को बेनकाब करेगी एनएसयूआइ
एनएसयूआइ के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी के अनुसार, पुलिस ने एनएसयूआइ कार्यकर्ताओं के साथ जमकर धक्का-मुक्की की व उन्हें जबरन गिरफ्तार कर लिया। राज्य सरकार की नाकामी को एनएसयूआइ आगे भी बेनकाब करती रहेगी।
फॉरेस्ट गार्ड भती परीक्षा की हो न्यायिक जांच
भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में हुई धांधली की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि आयोग की कोई भी ऐसी परीक्षा नहीं रही, जिस पर सवाल न उठे हों।
भाजपा नेता ने कहा कि फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा को बनाए गए केंद्रों पर अव्यवस्थाओं का बोलबाला रहा। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। समस्या यह है कि पूर्व में हुई गड़बडिय़ों से सरकार और आयोग ने कोई सबक नहीं लिया। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में आवेदन करने वाले अभ्यर्थी अब अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं। जुगरान ने आयोग के चेयरमैन की भूमिका पर भी सवाल उठाए।
बेरोजगार 25 को करेंगे सचिवालय कूच
फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में सामने आई बड़बड़ी के विरोध में बेरोजगार 25 फरवरी को सचिवालय कूच करेंगे। बेरोजगारों की गांधी पार्क में हुई बैठक में सचिवालय कूच को लेकर रणनीति बनाई गई। बेरोजगार संघ व उत्तराखंड बेरोजगार महासंघ के प्रमुख नेताओं ने इस बात पर रोष व्यक्त किया कि फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में जो धांधली हुई है, उससे युवा आहत हैं। इसलिए उत्तराखंड बेरोजगार संघ व महासंघ दोनों संगठन 25 फरवरी को 11 बजे सचिवालय कूच करेंगे।
इससे पहले सभी बेरोजगार सुबह 10 बजे परेड ग्राउंड में एकत्र होंगे। विरोध रैली में प्रदेश के सभी जिलों से युवा शामिल होंगे। बेरोजगारों की मांग है कि फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा निरस्त की जाए और सौ दिन के भीतर दोबारा से परीक्षा कराई जाए। साथ ही मांग उठाई कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाए। बैठक में कमलेश भट्ट, बॉबी पंवार, दीपक डोभाल, संदीप कंडारी, सुनील डोभाल, सुनील कैंतुरा, अर्जुन शर्मा, आलोक परमार, दिनेश चौहान आदि मौजूद रहे।
व्यापक गड़बड़ी सामने आई तो रद होगी परीक्षा
फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी पर वन मंत्रालय ने स्पष्ट किया जांच में आरोप सही पाए जाने पर पूरी परीक्षा रद करने से भी गुरेज नहीं किया जाएगा। यदि कुछेक केंद्रों पर ही ऐसा हुआ होगा तो इन्हीं केंद्रों की परीक्षा दुबारा कराई जा सकती है। फिलहाल सरकार जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
हरिद्वार में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए वन एवं पर्यावरण मंत्री डा हरक सिंह रावत ने कहा कि वन आरक्षी पद की भर्ती परीक्षा पारदर्शिता से कराने का जिम्मा अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को दिया गया था। परीक्षा में गड़बड़ी की शिकायतों की जांच एसआइटी कर रही हैं। अभी तक जांच में कुछ केंद्रों पर गड़बड़ी सामने आई है।
उन्होंने कहा कि अगर जांच में गड़बड़ी व्यापक स्तर पर होना सामने आता है तो सरकार पूरी परीक्षा भी निरस्त करने से गुरेज नहीं करेगी। फिलहाल कुछ केंद्रों पर गड़बड़ी की शिकायतें हैं, इसके आधार पर पूरी परीक्षा निरस्त करने का औचित्य नहीं है।