17वीं लोकसभा का सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को संबोधित करते हुए विपक्ष से संसद को सुचारु रूप से चलाने के लिए सहयोग की अपील की।
नई दिल्ली,प्रोटेम स्पीकर के रूप में डॉ. वीरेंद्र कुमार के शपथ ग्रहण के साथ ही संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो गई है। संसद का बजट सत्र 26 जुलाई तक चलेगा। सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने विपक्ष से सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि मैं आशा करता हूं कि विपक्ष के लोग नंबर की चिंता छोड़कर निष्पक्ष भाव से जनकल्याण को प्राथमिकता देते हुए इस सदन की गरिमा को ऊपर उठाने की कोशिश करेंगे
प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव के बाद 17वीं लोकसभा का सत्र शुरू हो रहा है। यह चुनाव अनेक विशेषताओं से भरा रहा। कई दशकों के बाद एक पूर्ण बहुमत की सरकार को जनता ने दोबारा सेवा करने का अवसर दिया है। संसद का यह सत्र नए साथियों के साथ परिचय करने का एक सुनहरा अवसर है। संसद में हम पक्ष-विपक्ष को छोड़ निष्पक्ष काम करें। हमें उम्मीद है कि इस बार सदन में अधिक काम होगा।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे लिए विपक्ष का एक एक शब्द मूल्यवान है। लोकतंत्र में विपक्ष का सक्रिय होना जरूरी है। तर्क के साथ सरकार की आलोचना करना लोकतंत्र को बल देता है। पिछले पांच साल का अनुभव रहा है जब सदन चला है तो देश हित के निर्णय भी बहुत अच्छे हुए हैं। विपक्ष से उम्मीद है कि वह संसद के सत्र को सुचारु रूप से चलाने में एक सकारात्मक भूमिका निभाएगा।
दरअसल, राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है। ऐसे में लोकसभा में बड़े बहुमत के साथ दोबारा जीत कर सत्ता में आई मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्यसभा के कामकाज को लेकर है। विपक्षी दलों को साथ लेकर चलना भी सरकार की बड़ी मजबूरी भी है। इन्हीं कोशिशों की कड़ी में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को साथ लेकर चलने की प्रतिबद्धता दोहराई।
इससे पहले रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी सरकार का पूरा फोकस विपक्ष को साधने में ही रहा। चूंकि सरकार के टॉप एजेंडे में तीन तलाक बिल (Triple Talaq bill) भी शामिल है और इसको पारित कराना सरकार की पहली प्राथमिकता है। इससे साफ है कि विपक्ष को भी पूरा तवज्जो देते हुए ही वह आगे बढ़ेगी। प्रधानमंत्री ने भी इसके संकेत दिए। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि निष्पक्ष भाव से सभी सदस्य मिलकर जनकल्याण की भावना को ध्यान में रखकर सदन की गरिमा को ऊंचा उठाने में योगदान करेंगे।