कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर चल रहा किसानों का आंदोलन बुधवार को 21वें दिन में प्रवेश कर गया। दिल्ली से सटे हरियाणा के सिंघु और टीकरी बॉर्डर के साथ दिल्ली-यूपी गेट पर हजारों किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच सिंघु बॉर्डर किसानों ने अब आक्रामक रुख भी अख्तियार कर लिया है और पुलिस की ओर से सड़क पर लगाए गए सीमेंट के बैरिकेड को हटाकर उसी जगह पर कई ट्रैक्टरों को भी खड़ा कर दिया है। इससे पूर्व सिंघु बार्डर पर दिल्ली की तरफ धरना दे रहे किसानों ने सोमवार को न केवल मंच बना दिया, बल्कि ठंड व बारिश से बचने के लिए उसके ऊपर शामियाना भी तान दिया।
वहीं, धरने पर बैठे किसानों ने मंगलवार को दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाले चिल्ला बॉर्डर को फिर से बंद करने की चेतावनी दी है। इस बॉर्डर को को कुछ दिन पहले ही आंशिक रूप से खोला गया है। इसके बंद रहने से दिल्ली-नोएडा आने-जाने वाले हजारों लोगों को मुश्किल हो रही थी। किसान नेताओं ने कहा कि पहले केंद्र सरकार तीनों कानूनों को रद करे इसके बाद ही कोई बात की जाएगी।
पत्रकारों से बातचीत में किसान नेता ऋषिपाल अंबावता ने कहा कि भ्रमित करने के बजाय सरकार कानून रद करने को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करे। वहीं, किसान जगजीत सिंह ने कहा कि आंदोलन को लेकर मंगलवार को पहले पंजाब के और फिर देशभर के किसान संगठनों की बैठक हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि उनका शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों की तरफ से बताया गया कि आंदोलन में अब तक 20 किसानों की मौत हो चुकी है। इनकी याद में देशभर 20 दिसंबर को सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक श्रद्धांजलि सभा आयोजित होगी। किसान नेताओं ने इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिक्की आडिटोरियम में दिए बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने बैठक में कारपोरेट जगत के लोगों से कहा कि सरकार ने उनके लिए कृषि क्षेत्र को खोल दिया है। मतलब, खेती को अब सरकार कारपोरेट जगत के लिए बाजार बना रही है। इससे किसान की भलाई कैसे संभव है, यह प्रधानमंत्री नहीं बता रहे हैं। किसान नेताओं ने कहा कि जब किसान से बिना पूछे कानून बनाए हैं, तो इसी तरह बिना पूछे इन्हें वापस भी लिया जाए। पत्रकार वार्ता में दिल्ली से युद्धबीर सिंह, पंजाब से लखवीर सिंह, महाराष्ट्र से संदीप गड्डे्, हरियाणा से इंद्रजीत सिंह आदि शामिल हुए थे।