हरिद्वार, आजखबर। गुरुकुल कांगड़ी (समविश्वविद्यालय) में स्वामी श्रद्धानन्द महाराज जी का 94वां बलिदान दिवस का आयोजन दयानन्द स्टेडियम में किया गया। बलिदान दिवस के उपलक्ष्य पर सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के दयानन्द स्टेडियम में यज्ञ का आयोजन किया गया उसके उपरान्त श्रद्धानन्द सभा की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रूपकिशोर शास्त्री ने कहा कि राष्ट्रीय फलक पर आर्य समाज की खुशबू फैलनी चाहिए। स्वामी श्रद्धानन्द महाराज जी ने गुरुकुल जैसे पौधे को लगाकर देश और समाज को एक नई दिशा दी थी। आज विश्वविद्यालय के प्रत्येक कर्मचारी को इस पौधे को पल्लवित और पोषित करने के लिए अपना अथक योगदान देना चाहिए।
इस अवसर पर राष्ट्रीय औषधीय पादक बोर्ड के सी.ई.ओ. जे.एल.एन. शास्त्री ने कहा कि कोविड-19 के चलते देश दुनिया में भारतीय वनस्पतियों के औषधीय गुणों को स्वीकार कर जहां स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया है वहीं विश्व पटल पर भारतीय वनस्पति व आयुर्वेदिक औषधियों को मान्यता मिली है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड द्वारा ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाए जायेंगे, जिसका व्यय बोर्ड द्वारा किया जाएगा। उत्तराखण्ड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 सुनील जोशी ने कहा कि कोविड-19 के चलते जहां विश्व के अन्य देशों में मृत्यु दर बहुत अधिक रही है वहीं हमारे देश में अभी तक इस बीमारी से लगभग 1 लाख 50 हजार लोग इस बीमारी के चलते लोगों की मृत्यु हुई है। उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द के बलिदान दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय व गुरुकुल आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में भी आयुर्वेद पद्धति को बढ़ावा देने के लिए औषधीय वाटिकाओं का निर्माण किया जाएगा, जिसमें प्रदेश व देश की विभिन्न दुर्लभ वनस्पतियों को संरक्षित किया जाएगा।
दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के सदस्य सतीश चड्ढ़ा ने कहा कि स्वामी जी मैकाले शिक्षा के विरोध में वैदिक संस्कृति को पल्लवित करने का काम किया है। स्वामी श्रद्धानन्द ने गुरुकुल को स्थापित करने के लिए अपनी जमीन, घर त्याग दिया था, जिसके चलते गुरुकुल की पहचान यूरोपीय देशों तक पहुंची। आज गुरुकुल जिन ऊँचाईयों तक पहुंचा है उसमें सबसे अधिक योगदान सभी आर्यो का है।
भेषज्ञ विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो0 सतेन्द्र राजपूत ने कहा कि आज राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जे.एल.एन.शास्त्री ने फीता काटकर औषधीय पादप वाटिका का उद्घाटन किया। इस वाटिका में औषधीय, धार्मिक और अन्य पौधे रोपित किए गए है। वर्तमान में वाटिका में एक हजार पौधे रोपित हुए है। इस अवसर पर कुलपति प्रो0 रूपकिशोर शास्त्री, डा0 सुनील जोशी, जे.एल.एन. शास्त्री, कुलसचिव प्रो0 दिनेश चन्द्र भट्ट ने भी वनस्पतीय पौधों को रोपित किया। इस अवसर पर प्रो0 जयदेव वेदालंकार, प्रो0 श्रवण कुमार शर्मा, प्रो0 सोमदेव शतांशु, प्रो0 मनुदेव बन्धु, प्रो0 पंकज मदान, प्रो0 वी0के0 सिंह, डा0 सुचित्रा मलिक, डा0 मृदुला जोशी, प्रो0 आर0के0एस0 डागर, डा0 शिव कुमार चैहान, डा0 पंकज कौशिक, रमेश चन्द, अमित धीमान, चन्द्रप्रकाश, प्रमोद कुमार, गन्धर्व सेन, धर्मेन्द्र बालियान, कुलभूषण शर्मा, हेमन्त सिंह नेगी, विरेन्द्र पटवाल, कुलदीप, नवीन, अमित, धर्मेन्द्र बिष्ट, ललित नेगी, सत्यदेव इत्यादि शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित थे। बलिदान दिवस का संयुक्त रूप से प्रो0 एम0आर0 वर्मा एवं डा0 अजय मलिक द्वारा किया गया।