मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मंत्रिमंडल विस्तार के संकेतों के बाद मंत्री पद के दावेदारों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। 40 से ज्यादा भाजपा विधायक मंत्री पद पाने वालों की कतार में शामिल हैं। हालांकि माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हीं विधायकों को मौका मिलेगा, जो क्षेत्रीय व जातीय संतुलन के पैमाने पर फिट बैठेंगे।
त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में अभी तीन स्थान रिक्त हैं। इनमें से दो तो सरकार गठन के वक्त, यानी मार्च 2017 से ही खाली हैं, जबकि तीसरा स्थान पिछले वर्ष कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के असामयिक निधन के कारण रिक्त हुआ। उत्तराखंड में अधिकतम 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल ही हो सकता है। लंबे इंतजार के बाद हाल ही में मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल विस्तार के संकेत दिए। इसके बाद वह गत 18 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट के दौरान मंत्रिमंडल विस्तार पर भी चर्चा कर चुके हैं। समझा जा रहा है कि भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी वह जल्द इस सिलसिले में भेंट कर सकते हैं।
सियासी हलकों में चल रही चर्चाओं के मुताबिक आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हीं जिलों को तरजीह मिलने की संभावना है, जिनका प्रतिनिधित्व अभी मंत्रिमंडल में नहीं है। गौरतलब है कि नौ सदस्यीय मंत्री मंडल में सर्वाधिक तीन मंत्री पौड़ी गढ़वाल जिले से हैं। ये हैं डॉ. हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज और डॉ. धनसिंह रावत। इसके बाद ऊधमसिंह नगर का नंबर है, जहां से दो मंत्री यशपाल आर्य व अरविंद पांडेय हैं। देहरादून जिले से स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, हरिद्वार से मदन कौशिक और टिहरी जिले का प्रतिनिधित्व मंत्रिमंडल में सुबोध उनियाल कर रहे हैं। रेखा आर्य मंत्रिमंडल में अल्मोड़ा जिले की नुमाइंदगी कर रही हैं।
इस लिहाज से देखा जाए तो राज्य के कुल 13 में से महज छह ही जिलों का प्रतिनिधित्व मंत्रिमंडल में है। पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, नैनीताल, उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग से कोई विधायक मंत्री नहीं है। सूत्रों के मुताबिक ज्यादा संभावना इसी बात की है कि मंत्रिमंडल में नए चेहरे इन्हीं जिलों में से हो सकते हैं। हालांकि यह बात दीगर है कि ऊधमसिंह नगर और देहरादून से भी कम से कम तीन विधायक ऐसे हैं, जिन्हें मंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।