सीएम धामी ने भी अपने संदेश में प्रदेशवासियों को इगास की शुभकामनाएं दीं

सीएम धामी ने भी अपने संदेश में प्रदेशवासियों को इगास की शुभकामनाएं दीं और लोगों से पैतृक गांव में पहुंचकर पर्व मनाने की अपील की। शुक्रवार को सभी सरकारी विभागों व दफ्तरों में सार्वजनिक अवकाश रहेगा। केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, इगास पर्व को लोकप्रिय बनाने वाले राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने प्रदेशवासियों को इगास पर्व की शुभकामनाएं दी हैं।

उन्होंने प्रदेश के लोगों का लोकपर्व को व्यापक स्वरूप में मनाने और भावी पीढ़ी को गौरवान्वित करने वाली सांस्कृतिक पहचान सौंपने का आह्वान किया। उन्होंने अपील की है कि सभी अपने गांवों में त्योहार को पारंपरिक रूप से मनाएं और प्रवासियों को भी प्रेरित करें।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने प्रदेशवासियों को उत्तराखंड के लोकपर्व इगास-बग्वाल की बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल ने कहा कि इगास-बग्वाल का यह पर्व सभी प्रदेशवासियों के जीवन में सुख, समृद्धि व खुशहाली लाएं। यह पर्व उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपरा का प्रतीक है। यह पर्व हमारे पूर्वजों की धरोहर व पर्वतीय संस्कृति की विरासत है। हमें अपने लोकपर्व व संस्कृति को संरक्षित रखने की आवश्यकता है। विशेषकर राज्य के युवा वर्ग को इस दिशा में मिलकर कदम बढ़ाने चाहिए।
आज भैलो खेलकर और पहाड़ी व्यंजनों के साथ ग्रामीण धूमधाम से पर्व मनाएंगे। इगास के दिन घरों में कोठार (अनाज रखने के लिए लकड़ी का बर्तन) में नया अनाज भी भरा जाता है। जनपद के बच्छणस्यूं, रानीगढ़, धनपुर, तल्लानागपुर सहित जखोली ब्लॉक के भरदार क्षेत्र और ऊखीमठ ब्लॉक के केदारघाटी के गांवों में इगास का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
पशुपालक अपने घरों में दूध और दही रखने के लिए नए बर्तन भी रखते हैं। कई गांवों में रक्षाबंधन पर बहनों द्वारा भाइयों की कलाई पर बांधी गई रखी को निकालकर गाय की पूंछ पर बांधने की परंपरा भी है। इसे हरिबोधनी एकादशी के रूप में भी मनाया जाता है। इगास के दिन कई गांवों में पशुपालक पशुओं की पूजा-अर्चना कर तिलक लगाकर उन्हें पींड़ा (चावल व झंगोरा को पकाकर) खिलाते हैं।
इगास पर्व को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। कई क्षेत्रों में मान्यता है कि भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटने की सूचना 11 दिन बाद मिलने के कारण दिवाली के 11वें दिन पर्व मनाया जाता है। वहीं कई जगह कहा जाता है कि वीर माधो सिंह भंडारी तिब्बत युद्ध पर गए थे और दिवाली तक लौटे नहीं। ऐसे में क्षेत्र में दिवाली नहीं मनाई गई। इसके बाद वीर माधो सिंह भंडारी दिवाली के 11वें दिन युद्ध जीतकर लौटे तो उनके लौटने की खुशी में क्षेत्रभर में धूमधाम से दिवाली मनाई गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.