हरियाणा में एक बार फिर सिख सियासत गरमा गई है। हरियाणा के लिए अलग शिरोमणि सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का मुद्दा फिर उभर गया है। पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार की ओर से हरियाणा में अलग सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (एचएसजीपीसी) का समर्थन किए जाने के बाद सिख राजनीति में उबाल आया है।
तेज हुई अलग सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के गठन की मांग
राज्य में पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल में एडहॉक एचएसजीपीसी का गठन किया गया था। अब इस कमेटी का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन राज्य सरकार ने एचएसजीपीसी के लिए नए सिरे से चुनाव प्रक्रिया शुरू करने में खास रुचि नहीं दिखाई है।
सुप्रीम कोर्ट में पंजाब ने किया हुड्डा सरकार के फैसले का समर्थन
पंजाब की कांग्रेस सरकार का समर्थन मिलने के बाद हरियाणा के सिखों ने अपने यहां एचएसजीपीसी के गठन के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। एचएसजीपीसी के लिए शिरोमणि अकाली दल के नेता भी एकाएक सक्रिय हो गए हैं। शिअद में बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। हरियाणा की भाजपा सरकार भी इसे किसी सूरत में हलके में नहीं लेना चाह रही है। एसजीपीसी के चुनाव गृह मंत्रालय की ओर से कराए जाते हैैं। एसजीपीसी ने पहले ही चुनाव के लिए केंद्र को पत्र भेजा है।
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मामले में पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा है कि हरियाणा के मौजूदा हालात के अनुसार वहां अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की जरूरत है। हरियाणा में इस समय शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधिकार क्षेत्र में 52 गुरुद्वारे आते हैं। इनमें ऐतिहासिक महत्व वाले सात गुरुद्वारे शामिल हैं। इन गुरुद्वारों का सालाना बजट करोड़ों रुपये है।
हरियाणा में कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, अंबाला, सिरसा, हिसार, जींद, डबवाली व करनाल समेत आठ एसजीपीसी की सीटों पर 11 सदस्य चुनकर आते हैं। मौजूदा समय में हरियाणा में केशधारी सिखों की संख्या करीब 45 लाख व एसजीपीसी मतदाताओं की संख्या करीब 16 लाख होने का दावा किया जा रहा है। अब हरियाणा के सिख मांग कर रहे हैैं कि उनके राज्य में भी एसजीपीसी के साथ-साथ एचएसजीपीसी के चुनाव कराए जाएं।
हुड्डा ने 14 जुलाई 2014 को बनाई थी एचएसजीपीसी
हरियाणा की पिछली हुड्डा सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में 14 जुलाई 2014 को विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर हरियाणा के लिए अलग सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एचएसजीपीसी) के गठन का प्रस्ताव पारित किया था। सरकार ने हरियाणा में गुरुद्वारों के संचालन के लिए 41 सदस्यों पर आधारित एक कमेटी का भी गठन किया, जिसने कुरुक्षेत्र में जगदीश सिंह झींडा को अध्यक्ष चुना। इस कमेटी का कार्यकाल 18 महीने तय किया गया था। सरकार द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार 18 माह बाद हरियाणा में एचएसजीपीसी चुनाव की प्रक्रिया शुरू करवाई जानी थी।
सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी हुड्डा के फैसले को चुनौती
एचएसजीपीसी बनाने के फैसले को 25 जुलाई 2014 को एसजीपीसी सदस्य हरभजन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कुछ समय बाद हुड्डा सरकार सत्ता से बाहर हो गई और एडहॉक कमेटी का कार्यकाल पूरा हो गया, जिसके बाद आज तक मनोहर सरकार ने दोबारा एडहॉक कमेटी का गठन नहीं किया।