राज्यपाल गुरमीत सिंह ने आधुनिकतम सुविधायुक्त विश्व स्तरीय पैथोलाजी लैब स्थापित करने के दिए निर्देश

उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने राजभवन स्थित एलोपैथिक डिस्पेंसरी में आधुनिकतम सुविधायुक्त विश्व स्तरीय पैथोलाजी लैब स्थापित करने के निर्देश दिए। राज्यपाल के निर्देशों के मुताबिक जल्द ही राजभवन डिस्पेंसरी को ई-डिस्पेंसरी के रूप में परिवर्तित किया जाएगा। उन्होंने डिस्पेंसरी में एआइ (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) एप्लीकेशन लागू करने के निर्देश भी दिए। बताया गया कि सभी मरीजों की जानकारी, उपचार, जांच, दवाइयों की जानकारी डिजिटली उपलब्ध रहेगी। रोगियों को मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से कई जानकारी, रिपोर्ट व सुविधाएं उपलब्ध होंगी

राजभवन में पैथोलाजी लैब की स्थापना से राजभवन के सभी अधिकारियों, कार्मिकों और उनके स्वजन, संबंधियों और संकटकाल में अन्य जरूरतमंदों को ब्लड, शुगर, टीबी, स्टूल व कोविड की जांच सुविधा मिलेगी। राज्यपाल ने करीब 800 मरीजों की क्षमता वाली राजभवन डिस्पेंसरी के अवस्थापना विकास के निर्देश दिए। इसे समयबद्ध तरीके से फर्स्ट लुक मेडिकल केयर के रूप में विकसित किया जाएगा।

राज्यपाल गुरमीत सिंह ने मंगलवार को राजभवन स्थित डिस्पेंसरी का निरीक्षण किया। इस अवसर पर चिकित्साधिकारी डा महावीर सिंह, वरिष्ठ चिकित्सक डा अरुण कुमार सिंह, फार्मासिस्ट जगदीश देवराड़ी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

पहले अपनी पार्टी का ट्रैक रिकार्ड देख लें गोदियाल

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विपिन कैंथोला ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को पहले अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व अध्यक्ष का ट्रैक रिकार्ड देखना चाहिए, फिर भाजपा के बारे में कोई बात करनी चाहिए। कैंथोला ने कहा कि कांग्रेस एक डूबता जहाज है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के नेतृत्व में पूरे देश से कांग्रेस का लगभग सफाया हो गया। कांग्रेस के आला नेता, पूर्व मंत्री पार्टी को छोड़कर जा रहे हैं। उसके नेता कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व पर सवाल उठाते रहे हैं।

इस सबकी बौखलाहट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोदियाल के बयान में साफ दिखती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पहले अपने राष्ट्रीय नेताओं को कहें कि उनके नेतृत्व के कारण कांग्रेस सिमट गई है। पिछले चुनाव में उत्तराखंड में भी कांग्रेस 11 सीट पर सिमट गई थी और जिसके नेतृत्व में चुनाव हुआ, वे स्वयं दो सीटों से हार गए थे। गोदियाल खुद भी विधानसभा चुनाव हार गए थे तो यह उनकी उपयोगिता पर भी सवालिया निशान है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.