नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने आम लोगों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अहम कदम उठाया है। सरकार ने इसके लिए Public Provident Fund (PPF) से जुड़े नए नियम को अधिसूचित कर दिया है। नए नियमों के मुताबिक पीपीएफ अकाउंट में पड़ी राशि को किसी भी स्थिति में अटैच यानी जब्त नहीं किया जा सकेगा। नए नियमों के मुताबिक अकाउंट होल्डर के किसी भी कर्ज या देनदारी की वसूली को लेकर कोर्ट के आदेश पर भी पीपीएफ अकाउंट में पड़ी राशि को जब्त नहीं किया जा सकेगा। पब्लिक प्रोविडेंट फंड स्कीम 2019 तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। इसने पुराने सभी पीपीएफ नियमों का स्थान ले लिया है।
मेच्योरिटी के बाद भी स्कीम आगे बढ़ाने का विकल्प
नये नियमों के मुताबिक पीपीएफ अकाउंट खोलने के बाद 15 साल पूरे होने यानी मेच्योरिटी के बाद भी आप अगले पांच साल तक पीपीएफ में पैसे जमा कर सकेंगे।
पांच साल के बाद कभी भी निकालें पीपीएफ में जमा राशि
नई स्कीम के तहत पीपीएफ खाते में जमा राशि को अकाउंट खुलवाने के पांच साल के बाद कभी भी निकाला जा सकता है। इसके अलावा चौथे साल के आखिर में आपके 50 फीसद राशि निकालने का विकल्प होगा। फॉर्म-1 के जरिए अप्लीकेशन भरकर कोई भी व्यक्ति अकाउंट खुलवा सकता है। कोई व्यक्ति अगर किसी नाबालिग या किसी मानसिक विकार से पीड़ित व्यक्ति का गार्जियन है तो वह उसके नाम पर अकाउंट खुलवा सकता है। हालांकि, ज्वाइंट पीपीएफ अकाउंट खुलवाने का कोई प्रावधान नहीं है।
एक साल में 1.5 लाख रुपये तक का अंशदान
किसी वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक जमा किया जा सकता है। अगर आपका खुद का पीपीएफ अकाउंट है और आपने किसी नाबालिग के नाम से भी अकाउंट खुलवाया है तो भी यह राशि सालाना 1.5 लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।