अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ट्रस्ट के गठन का एलान किया। ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ के नाम से गठित इस 15 सदस्यीय ट्रस्ट में एक ट्रस्टी अनिवार्य रूप से दलित होगा। ट्रस्ट के डीड में ही इसके नौ सदस्यों के नाम दे दिए गए हैं, जिनमें रामलला को सुप्रीम कोर्ट में जीत दिलाने वाले रामभक्त के. परासरन का नाम सबसे ऊपर है। इसके साथ ही 1989 में राम मंदिर का शिलान्यास करने वाले दलित कामेश्वर चौपाल का भी नाम इसमें शामिल है।
100 रुपये में ट्रस्ट रजिस्ट्रर्ड कराकर एक रुपये में ट्रस्टी को सौंपा
गृहमंत्रालय के अवर सचिव खेला राम मुर्मू ने बुधवार को 100 रुपये के स्टांप पेपर पर ट्रस्ट को पंजीकृत कराया और फिर उसे एक रुपये में परासरन को स्थानांतरित कर दिया। ट्रस्ट के डीड में ही साफ कर दिया गया है कि इसके गठन के बाद सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं होगी यानी यह सरकारी दखल से पूरी तरह मुक्त होगा। फिलहाल ट्रस्ट का पता परासरन के ग्रेटर कैलाश पार्ट-एक स्थित आवास को रखा गया है, जिसे बाद में ट्रस्ट दूसरी जगह स्थानांतरित कर सकता है। ट्रस्ट को राम मंदिर निर्माण और उसके रखरखाव के लिए धन जुटाने और उसके प्रबंधन की पूरी छूट होगी।
सभी सदस्यों का हिंदू होना अनिवार्य
ट्रस्ट के सभी सदस्यों का हिंदू धर्मावलंबी होना अनिवार्य बनाया गया है। यहां तक कि यह शर्त उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत दो सदस्यों और अयोध्या के जिलाधिकारी के पदेन सदस्य होने पर भी लागू होगा। केंद्र सरकार की ओर से ऐसे सदस्य को ट्रस्ट में नियुक्त किया जाएगा, जो आइएएस अधिकारी होगा और संयुक्त सचिव के पद से नीचे के स्तर का नहीं होगा। इसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार भी एक आइएएस अधिकारी को नियुक्त करेगी, जो राज्य में सचिव स्तर के नीचे का अधिकारी नहीं होगा। अयोध्या के जिला मजिस्ट्रेट के हिंदू धर्मावलंबी नहीं होने की स्थिति में वहां के एडिशनल मजिस्ट्रेट को ट्रस्ट में शामिल किया जाएगा।
निर्मोही अखाड़े के महंत दीनेंद्र दास भी ट्रस्ट में
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार निर्मोही अखाड़े के प्रतिनिधि के रूप में महंत दीनेंद्र दास को भी ट्रस्ट में शामिल किया गया है। परासरन पहले ही ट्रस्ट में शामिल होने की सहमति दे चुके हैं। बाकी के सदस्यों की ओर से शाम तक सहमति आनी बाकी थी। सहमति के लिए उन्हें पंद्रह दिन तक का वक्त दिया गया है।
दो सदस्यों का चयन ट्रस्ट करेगा
ट्रस्ट के दो सदस्यों के चयन का अधिकार ट्रस्ट के मौजूदा सदस्यों को दिया गया है। जो मतदान के बाद बहुमत के आधार पर इनका चयन करेंगे। लेकिन इन दोनों सदस्यों के चुनाव में सरकार की ओर से मनोनीत आइएएस अधिकारी व अयोध्या के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में पदेन सदस्य भाग नहीं ले सकेंगे। इसका 15वां सदस्य भी पदेन होगा, जो ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर कांप्लेक्स के विकास और प्रशासनिक देखरेख के लिए बनने वाली कमेटी का अध्यक्ष होगा। इसका चयन भी ट्रस्ट के सदस्य ही करेंगे।
नौ फरवरी से पहले गठित किया जाना था ट्रस्ट
इस ट्रस्ट का गठन नौ नंवबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप और 1993 में संसद से पारित ‘अयोध्या भूमि अधिग्रहण कानून’ के प्रावधान के तहत किया गया है। सदियों पुराने विवाद पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित स्थल पर रामलला के पक्ष में फैसला दिया था और सरकार को तीन महीने के लिए इसके लिए ट्रस्ट के गठन का निर्देश दिया था। नौ फरवरी को तीन महीने पूरे होने के चार दिन पहले ही सरकार ने ट्रस्ट का गठन कर दिया।
ये जिम्मेदारियां संभालेगा ट्रस्ट
भविष्य में यह ट्रस्ट ही राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण और उसकी रोजमर्रा की व्यवस्था से लेकर देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के आने-जाने, ठहरने और खाने-पीने के इंतजाम की जिम्मेदारी संभालेगी। वैसे तो अयोध्या में राम मंदिर के आंदोलन चलाने वाली विश्व हिंदू परिषद ने मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट बना रखा रखा है, जिसने उसका नक्शा भी बना रखा है और उस नक्शे के अनुरूप पत्थरों की तराशने का 70 फीसदी काम पूरा भी हो चुका है। लेकिन नए ट्रस्ट को भव्य राम मंदिर के निर्माण के नक्शे के चयन की छूट होगी। वह चाहे तो राममंदिर न्यास ट्रस्ट के नक्शे और निर्माण सामग्री का उपयोग कर सकता है या फिर नए सिरे से नक्शे भी बनवा सकता है।
ट्रस्ट के स्थायी नौ सदस्य
1- के. परासरन, सुप्रीम कोर्ट में ¨हदू पक्ष का केस लड़ने वाले वकील
2- कामेश्वर चौपाल, 1989 में राम मंदिर का शिलान्यास करने वाले दलित सदस्य
3- स्वामी वासुदेवानंद जी महाराज, जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष पीठाधीश्वर, प्रयागराज
4- जगतगुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज, पीठाधीश्वर, पेजावर मठ, उडुपी, कर्नाटक
5- युगपुरुष परमानंद जी महाराज, प्रमुख, अखंड आश्रम, हरिद्वार
6- स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज, पुणे।
(ये महाराष्ट्र के विख्यात आध्यात्मिक गुरु पांडुरंग शास्त्री अठावले के शिष्य हैं)
7- विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र,अयोध्या के राजपरिवार के वंशज, सदस्य रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य और समाजसेवी
8- डॉ. अनिल मिश्र, अयोध्या के होम्योपैथिक चिकित्सक
9- महंत दिनेंद्र दास, अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के प्रतिनिधि