देहरादून। दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय (दून अस्पताल) में मरीजों की ‘खुराक’ को लेकर बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। अस्पताल प्रबंधन ने कैंटीन का अगस्त माह का 15 लाख 19 हजार 980 रुपये का बिल लौटा दिया है। कैंटीन संचालक ने कोरोनाकाल में संशोधित की गई दरों पर बिल तैयार किया है। जबकि अस्पताल प्रबंधन ने पूर्व स्वीकृत दरों पर नया बिल प्रस्तुत करने को कहा है। यही नहीं जुलाई के बिल का भुगतान भी कोविड-19 मरीजों के लिए अनुमोदित दरों पर किया गया है। जिसे अब अस्पताल प्रबंधन नियमानुसार अग्रिम बिल में समायोजित करने की बात कह रहा है।
दरअसल, दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय को कोविड-हास्पिटल बनाया था। जहां एक समय पर केवल कोरोना के ही मरीज भर्ती किए जा रहे थे। जिन्हें अलग डाइट दी गई। जिसके लिए दरें भी संशोधित कर दी गई थीं। सामान्य डाइट में मरीज को सुबह नाश्ता (दूध, ब्रेड, मक्खन) और दोपहर व रात को भोजन (दाल, सब्जी, रोटी, चावल, दही) दिया जाता है। जिसकी तय दर 170 रुपये प्रतिदिन प्रति व्यक्ति है। कोरोना के संदिग्ध व संक्रमित मरीजों को पौष्टिक आहार देने के लिए डाइट में बदलाव किया गया। इस काम के लिए गठित समिति की संस्तुति पर मरीजों को दो बार चाय, खाना, नाश्ता, हल्दी वाला दूध, मिनरल वाटर आदि दिया गया। डाइट प्लान के तहत हर दिन अलग भोजन मरीजों को दिया गया। वहीं, सुरक्षा के मद्देनजर डिस्पोजल पैकिंग में खाना दिया गया। ऐसे में इसकी 210 रुपये प्रति मरीज दर तय की गई।
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बीती जून में कोरोना का प्रभाव कम होने लगा था। जिस कारण भर्ती मरीजों की संख्या भी घटने लगी। इसी कारण सामान्य आइपीडी बहाल कर दी गई थी। ऐसे में संशोधित दर पर खाने के बिल पर आपत्ति लगाई गई है। वहीं, कैंटीन संचालक मनोज कुलाश्री का कहना है कि कोरोनाकाल के लिए खाने की दरें संशोधित की गई थी। अस्पताल प्रबंधन से उन्हें लिखित या मौखिक कभी नहीं कहा कि अब खाना पूर्व निर्धारित दरों पर और पुरानी डाइट के मुताबिक देना है। ऐसे में मरीजों को वही डाइट दी गई है, जो अभी तक दी जा रही थी। जिसका उनके पास पूरा रिकार्ड है। गत वर्ष उन्हें जो पत्र भेजा गया था, उसमें कहा गया था कि अग्रिम आदेशों तक उक्त समिति की ओर से संस्तुत मेन्यू लागू रहेगा।
डा. केसी पंत (चिकित्सा अधीक्षक दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय) का कहना है कि इस पूरे मामले पर मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, डाइटीशियन, संबंधित कार्मिकों व कैंटीन संचालक को बुलाया गया है। कैंटीन से संबंधित पूरा रिकार्ड व बिल देखे जाएंगे। सभी तथ्यों को परखने के बाद बाद फैसला लिया जाएगा।