मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ ने लोक आस्‍था के महापर्व देव दीपावली की प्रदेश की जनता को दींं शुभकामनाएं

सीएम योगी ने आस्‍था के इस महापर्व की जनता को बधाई दी। सीएम ने ट्वीट कर कहा क‍ि देव-दीपावली की समस्त प्रदेश वासियों व श्रद्धालुओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं! बाबा विश्वनाथ की पावन धरा पर मनाया जाने वाला यह महापर्व सभी श्रद्धालुओं के जीवन को सुख-समृद्धि तथा आरोग्यता के आशीर्वाद से अभिसिंचित करे, यही कामना है।

उप मुख्‍यमंत्री ब्रजेश पाठक ने ट्वीट कर कहा क‍ि समस्त देश एवं प्रदेशवासियों को लोक आस्था के महापर्व देव दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी प्रदेश की जनता को पावन पर्व की बधाई दी। केशव मौर्य ने ट्वीट कर कहा क‍ि लोक आस्था के महापर्व देव दीपावली की समस्त देश एवं प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

काशी के घाटों पर देव-दीपावली के द‍िन प्रज्‍ज्‍वल‍ित होते हैं लाखों दीये

देव-दीपावली के दिन वाराणसी में मोक्षदाय‍िनी मां गंगा के घाटों को लाखों दीयों की रोशनी से जगमग क‍िया जाएगा। प्रत‍ि वर्ष Dev Diwali 2022 कार्तिक मास की पूर्णिमा को देव-दीपावली का पावन पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष पूर्णिमा तिथि पर चंद्र ग्रहण लगने के कारण देव दीपावली को एक दिन पहले मनाया जा रहा है। ऐसे में देव दीपावली इस साल 7 नवंबर 2022 यानी आज मनाया जा रहा है।

देव-दीपावली के द‍िन काशी में हुआ था देवताओं का प्रवेश

पौराण‍िक ग्रन्‍थों में मान्‍यता है क‍ि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवतागण दिवाली मनाते हैं व इसी दिन देवताओं का काशी में प्रवेश हुआ था। तीनों लोको मे त्रिपुराशूर राक्षस का राज चलता था देवतागणों ने भगवान शिव के समक्ष त्रिपुराशूर राक्षस से उद्धार की विनती की। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन राक्षस का वध कर उसके अत्याचारों से सभी को मुक्त कराया और त्रिपुरारि कहलाये। इससे प्रसन्न देवताओं ने स्वर्ग लोक में दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया था तभी से कार्तिक पूर्णिमा को देवदीवाली मनायी जाने लगी।

देवताओं का काशी में प्रवेश था प्रतिबन्धित

काशी में देवदीवाली उत्सव मनाये जाने के सम्बन्ध में मान्यता है कि राजा दिवोदास ने अपने राज्य काशी में देवताओं के प्रवेश को प्रतिबन्धित कर दिया था, कार्तिक पूर्णिमा के दिन रूप बदल कर भगवान शिव काशी के पंचगंगा घाट पर आकर गंगा स्नान कर ध्यान किया, यह बात जब राजा दिवोदास को पता चला तो उन्होंने देवताओं के प्रवेश प्रतिबन्ध को समाप्त कर दिया। इस दिन सभी देवताओं ने काशी में प्रवेश कर दीप जलाकर दीपावली मनाई थी।

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