हरिद्वार कुंभ मेला की तैयारियों का जायजा लेने शुक्रवार को धर्मनगरी पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विभिन्न अखाड़ों खासकर बैरागी व संन्यासी अखाड़ों के श्रीमंहत-महामंडलेश्वरों, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, शासन तथा कुंभ मेला अधिकारियों के साथ कुंभ मेला क्षेत्र विस्तार का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने अखाड़ों के श्रीमहंत, महामंडलेश्वर और साधु-संतों के सुझाव को स्वीकार करते हुए इसे अपनी सहमति प्रदान कर दी।
सीएम ने कहा कि इस बार कुंभ मेला 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में कराये जाने की तैयारी है, जबकि 2010 में यह मात्र 630 हेक्टेयर क्षेत्र में ही संपन्न हो गया था। दावा किया कि ऐसा पहली बार होगा, जब हरिद्वार में कुंभ मेला इतने बड़े इलाके में संपन्न कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कुंभ मेला क्षेत्र विशेष कर गौरीशंकर एक व गौरीशंकर दो में मेले से संबंधित मूलभूत सुविधाओं की स्थापना के निर्देश देते हुए यहां गंगा पर अस्थाई तौर पर स्नान घाट बनाने और निर्माण कार्यों में तेजी लाने के आदेश भी दिए।
स्थलीय निरीक्षण के दौरान पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मेले से संबंधित स्थाई प्रकृति के चल रहे सभी निर्माण कार्यों को नवंबर तक हर-हाल में पूरा कर लिए जाने का दावा भी किया। उन्होंने कहाकि सरकार, शासन, मेला प्रशासन और संत-महात्माओं के सहयोग-आपसी सामंजस्य से सभी निर्माण कार्यों को समय से पूरा करते हुए दिव्य और भव्य तरीके से संपन्न कराया जाएगा।
उनके साथ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री जूना अखाड़े के श्रीमहंत हरिगिरि, महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव के श्रीमहंत रविंद्र पुरी, निरंजनी अखाड़े श्रीमहंत रविंदर पुरी सहित कई अन्य अखाड़ों के श्रीमहंत, साधु-संन्यासियों के सचिव शहरी विकास शैलेश बगौली, आइजी मेला संजय गुंज्याल, मेलाधिकारी दीपक रावत, जिलाधिकारी हरिद्वार सी रविशंकर, एसएसपी हरिद्वार सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस सहित बड़ी संख्या में विभिन्न विभागों के नोडल अधिकारी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने बैरागी कैंप, बस्ती रामपुर पुल, हरिहरानंद घाट पुल, जलनिगम के निर्माणाधीन आइवेल का निरीक्षण किया, उन्होंने बैरागी अखाड़ों को आवंटित होने वाली भूमि का निरीक्षण कर सि पर उनसे राय भी ली।
भूमि में घालमेल न करने की मांग
मुख्यमंत्री के बैरागी कैंप के निरीक्षण के दौरान अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरिगरि और महानिर्वाणी अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने उन्हें बताया कि यह पूरी तीन बैरागी अखाड़ों और उनकी अणियों के काम की है। इसमें अन्य अखाड़ों को शामिल करना उचित नहीं होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि गौरीशंकर-एक और गौरीशंकर-दो में बनने वाले महामंडलेश्वर नगर के बाद सभी संन्यासी अखाड़ों के लिए भूमि का आवंटन किया जाए। कहा कि गौरीशंकर-एक और गौरीशंकर-दो का विस्तार कर तीनों उदासीन अखाड़ों को भी यहीं भूमि आवंटित की जाए। 2010 कुंभ में भी महामंडलेश्वर नगर और संन्यासी अखाड़ों को यहीं भूमि दी गई थी। मुख्यमंत्री ने उनके सुझाव को स्वीकार उसे अपनी सहमति प्रदान कर दी।
श्यामपुर कांगड़ी तक हो सकता है कुंभ मेला क्षेत्र का विस्तार
हरिद्वार-बिजनौर हाईवे पर पडऩे वाले कुंभ मेला क्षेत्र गौरीशंकर-एक और गौरीशंकर-दो का विस्तार करते हुए इसे सिद्धस्त्रोत्र तक कर दिया है। इस क्षेत्र में लगने वाले दस अखाड़ों की छावनी, महामंडलेश्वर नगर और इनके लिए बड़ी पार्किंग बनाने को भूमि की आवश्यकता को देखते हुए इसे श्यामपुर कांगड़ी तक बढ़ाए जाने की पूरी संभावना है।
क्षेत्र में बढ़ेगी अस्थाई पुल की संख्या
मुख्यमंत्री ने कुंभ मेला क्षेत्र गौरीशंकर-एक और गौरीशंकर-दो को कनखल से जोडऩे के लिए यहां पर अस्थाई पुल की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए। कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत ने जानकारी दी कि फिलहाल कुंभ मेला में कुल 42 अस्थाई पुल बनाए जाने का प्रस्ताव है। आवश्यकता पड़ने पर इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। इस बार इन दोनों ही जगहों पर अस्थाई पुल की संख्या में इजाफा किया जाएगा।
नमामि घाट बनने से खत्म हो गया नीलधारा कुंभ क्षेत्र
मुख्यमंत्री के निरीक्षण के दौरान यह बात निकल कर सामने आई कि कुंभ मेला क्षेत्र में वीआइपी का दर्जा पाने वाली नीलधारा कुंभ मेला क्षेत्र इस इलाके में नमामि गंगे घाट बनने से कुंभ की दृष्टि से खत्म हो गया है। इसलिए चंडीघाट पुल के दूसरी तरफ के गौरीशंकर-एक और गौरीशंकर-दो कुंभ मेला क्षेत्र का विस्तारीकरण जरूरी हो गया है।