मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि होम क्वारेंटाईन का उल्लंघन करने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। ग्राम स्तर पर कार्यरत प्रधानों, आशा कार्यकत्रियों, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा की जाने वाली शिकायतों को गम्भीरता से लिया जाए। मुख्यमंत्री, वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जिलाधिकारियों के साथ प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मास्क, सेनेटाईजेशन, फिजीकल डिस्टेंस आदि बातों को लेकर निरंतर लोगों को जागरूक किए जाने की जरूरत है। सामाजिक कार्यकर्ताओं, जनप्रतिनिधियों, मीडिया व समाज के अन्य प्रबुद्धजनों के साथ संवाद कायम रखें। जो लोग भी उत्तराखण्ड आना चाहते हैं, उन्हें लाया जाना है। बाहर से घर लौटने वाले लोगों को मनोवैज्ञानिक रूप से सशक्त भी रखना है और उन्हें व्यस्त भी रखना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों में बनाए जा रहे क्वारेंटाईन सेंटरों की उचित साफ सफाई के लिए ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समितियों को एनएचएम से 5-5 हजार रूपए दिए जा रहे हैं।
प्रधान, ग्रामीण समाज का महत्वपूर्ण अंग होते हैं। इसे देखते हुए प्रधानों को जिम्मेदारी दी गई है। परंतु इसका मतलब ये नहीं है कि उन्हें अकेले इस काम को देखना है। ग्राम स्तर के प्रशासनिक कर्मचारियों को उनके नेतृत्व में काम करना है। प्रधानों का जो भी व्यय होता है, उसकी प्रतिपूर्ति प्राथमिकता से की जाए।
मुख्यमत्री ने कहा कि इन दिनों में पाॅजिटिव केस पहले की अपेक्षा अधिक बढ़े है, परंतु हमारी तैयारी बेहतर है। पेशेन्ट केयर का हमारा रिकार्ड बेहतर रहा है। अभी तक बेहतर तरीके से जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। अब नई चुनौति आई है। इस चुनौति पर व्यावहारिकता और कुशलता के साथ खरा उतरना है। कोरोना से लम्बी लड़ाई है। इसके लिए हमें मनोवैज्ञानिक रूप से भी तैयार रहना है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का सहयोग लें। हर वार्ड में चार-पांच लोगों की एक टीम हो। लोगों की आजीविका के लिए भी योजनाओं पर काम करना है। किसानों को बीज उपलब्ध करवाए जाएं। इसी प्रकार केंद्र व राज्य सरकार ने जो योजनाएं घोषित की हैं, उनसे लोग, लाभान्वित हों, यह सुनिश्चित किया जाए।
मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि जो भी लोग बाहर से अपने घरों को आ रहे हैं, उन पर सतत निगरानी रखनी है। इसमें जिलाधिकारी ग्रामीण स्तर के स्वास्थ्यकर्मियों का उपयोग करें। आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जरूरी जांच की जाएं। एक-एक केस को ट्रेस करना है। और उनका हेल्थ चैकअप किया जाए। बीआरटी को सक्रिय रखा जाए। काॅल सेंटर के माध्यम से भी आने वाले लोगों से लगातार सम्पर्क रखा जाता है। रेड जोन से आने वालों को इंन्स्टीट्यूशनल क्वारेंटाईन में रखा जाना है। अच्छी प्रतिष्ठा वाले एनजीओ का भी सहयोग लिया जा सकता है। जिस प्रकार गांवों में प्रधानों का सहयोग लिया जा रहा है, उसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में स्थानीय निकायों को भी अधिकृत किया जाएगा। पार्षदों की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
डीजीपी श्री अनिल कुमार रतूड़ी ने कहा कि क्वारेंटाईन का उल्लंघन करने वालों, सार्वजनिक स्थानों पर मास्क न पहनने वालों, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वालों पर कार्रवाई की जानी है। हमंे लोगों का समझाना भी है और जो न समझे उस पर कार्रवाई की जानी है।
सचिव स्वास्थ्य, श्री नीतेश झा ने प्रदेश में कोविड-19 की अपडेटेड स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि बाहर से लोगों के आने के बाद पाॅजिटिव केस बढ़ रहे हैं। अभी तक 120 पाॅजिटिव केस हो चुके हैं, इनमें से 53 रिकवर हो चुके हैं। 66 एक्टीव केस हैं। अभी जितने भी केस हैं, उनमें कोई भी गम्भीर नहीं है। उन्होनंे बताया कि हमारे पास आईसीयू बैड, वेंटिलेटर, पीपीई किट, एन 95 मास्क, अस्पताल/फेसिलिटी सेंटर की पर्याप्त संख्या में व्यवस्था है।
सचिव श्री शैलेश बगोली ने बताया कि प्रदेश में वापस आने के लिए अभी तक 2 लाख 33 हजार से अधिक रजिस्टेªशन हो चुके हैं। लगभग 1 लाख 29 हजार लोग वापस आ चुके हैं। अभी तक 10 ट्रेनें आ चुकी हैं। और 2 ट्रेनें मार्ग में हैं। निर्धारित एसओपी के अनुसार सारी चेकिंग की प्रक्रिया की जाती है। जिलािधकारियों को आने वाले लोगों का पूरा विवरण उपलब्ध करवाया जाता है।
बैठक में मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री केएस पंवार, सचिव श्री अमित नेगी, श्रीमती राधिका झा श्री दिलीप जावलकर,, डीजी लाॅ एंड आर्डर श्री अशोक कुमार, डा. पंकज कुमार पाण्डे, सहित अन्य अधिकारी, जिलाधिकारी उपस्थित थे।