अक्षय तृतीया के मौके पर मंगलवार को गंगोत्री धाम के कपाट खोल दिए गए हैं। आर्मी बैंड के साथ पारंपरिक ढोल दमाऊ की थाप और रणसिंघा के उद्घोष ने भी श्रद्धालुओं में जोश भरा। साथ में श्रद्धालुओं की ओर से जय मां गंगे…, हर-हर गंगे के जयकारों में गंगोत्री से होकर बरबस बहती मां भागीरथी की धारा का संगीत भी अमृत घोल रहा था।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी पत्नी गीता धामी संग धाम पहुंचे और मां गंगा का आशीर्वाद लिया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा कराई गई। यह पूजा मुख्यमंत्री धामी ने करवाई।मुख्यमंत्री धामी ने गंगोत्री में पूजा अर्चना की और प्रदेश वासियों की खुशहाली की कामना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से चारधाम यात्रा विधिवत रूप से शुरू हो रही है। मैं सभी श्रद्धालुओं का उत्तराखंड देवभूमि आगमन पर स्वागत करता हूं। ये यात्रा ऐतिहासिक हो, सबकी यात्रा सरल व सुगम हो, सबके मंगल की कामना करता हूं। हमारी सरकार सुगम एवं सुरक्षित चार धाम यात्रा हेतु वचनबद्ध है।
मंगलवार को कपाटोद्घाटन के समय धाम में हजारों भक्त मौजूद रहे और इस पावन पल के साक्षी बने। सुबह 11 बजकर 15 मिनट पर धाम के कपाट विधिविधान के साथ खोले गए। जिसके बाद दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए और इसके साथ ही तीन मई से चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो गया।
कालांतर से गंगोत्री में गंगा माता की पूजा की जाती है। आधुनिक इतिहास में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा मंदिर का निर्माण करवाया गया। जयपुर के राजा माधो सिंह द्वितीय ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
गंगोत्री के आसपास के कई अन्य धार्मिक स्थल हैं। मुखबा गांव, भैरों घाटी, हर्षिल, नंदनवन तपोवन, गंगोत्री चिरबासा और केदारताल इनमें प्रमुख हैं। यह मंदिर शीतकाल में बंद रहता है। इस दौरान मां गंगा की पूजा उनके शीतकालीन निवास स्थान मुखवा में होती है। ग्रीष्मकाल में छह माह के लिए मां गंगा गंगोत्री धाम पहुंचतीं हैं और भक्तों को दर्शन देती हैं।
दो साल बाद कोरोना संक्रमण कम होने पर इस बार भव्य रूप से कपाटोद्घाटन किया गया। वहीं संभावना जताई जा रही है कि इस बार चारधाम यात्रा में रिकार्ड तोड़ तीर्थयात्री पहुंच सकते हैं।