लखनऊ, उत्तर प्रदेश में सरकारी एम्बुलेंस की सेवा प्रदाता कंपनी के चालकों की हड़ताल को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद गंभीर हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री के निर्देश पर गुरुवार से एम्बुलेंस चालकों की भर्ती जारी है। इसके बाद भी सीएम योगी आदित्यनाथ ने सख्त निर्देश दिया है कि सभी जनपदों में मरीजों की आवश्यकता के अनुसार तुरंत एम्बुलेंस की उपलब्धता होनी चाहिए।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी दशा में मरीजों अथवा उनके स्वजन का उत्पीडऩ न हो। जिलाधिकारी अपने जिलों में एम्बुलेंस संचालन की व्यवस्था पर सतत नजर बनाए रखें। इसके साथ ही एम्बुलेंस की अनुपलब्धता के कारण यदि किसी की असमय मृत्यु की दुखद घटना हुई, तो दोषी के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होनी तय है।
उत्तर प्रदेश में एम्बुलेंस कर्मियों की हड़ताल का पांचवा दिन है। लखनऊ में कर्मचारियों की बर्खास्तगी के बाद भी इनका प्रदर्शन जारी है। इसको देखते हुए जॉइंट कमिश्नर भारी पुलिस बल के साथ इको गार्डन में डटे हैं। प्रदेश में 102 तथा 108 एम्बुलेंस की सेवा जीवीके एलआरआइ प्रदान कर रही है, जबकि एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एम्बुलेंस का संचालन प्राइवेट फर्म जिगित्सा को दिया गया है। जिसने प्रदेश में अपनी सेवा शुरू करने के पहले ही तमाम शर्त रखी है। इसी के बाद से माहौल बदल गया।
उधर शासन तथा सेवा प्रदाता कंपनी ने हड़ताल कर रहे एम्बुलेंस कर्मियों पर शिकंजा कस दिया है। इसके तहत 130 कर्मचारी और बर्खास्त कर दिए गए हैं। अब तक कुल 711 कर्मियों को बर्खास्त किया जा चुका है। गुरुवार को एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम (एएलएस), 108 व 102 एंबुलेंस सेवा की 4720 एंबुलेंस को दौड़ाने के लिए कोशिशें और तेज कर दी गईं। अभी 22 जिलों में ही शत प्रतिशत एंबुलेंस और 35 जिलों में 50 प्रतिशत तक एंबुलेंस चली हैं, जबकि 18 जिलों में एक भी एंबुलेंस नहीं दौड़ पाई है। एïम्बुलेंस न मिलने के कारण पांचवें दिन भी मरीजों को मुसीबत उठानी पड़ी।
एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रही जीवीकेईएमआरआइ ने गुरुवार की शाम तक कर्मचारियों को काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया था, जिसके बाद कई कर्मचारी वापस लौट आए हैं। कंपनी ने नई भर्ती शुरू कर दी है। उधर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) उप्र व स्वास्थ्य विभाग ने एम्बुलेंस ड्राइवर व इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) जुटाने का काम शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत राजकीय वाहन चालकों को एम्बुलेंस की चाबी सौंपी जा रही है और ईएमटी के तौर पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत तैनात पैरामेडिकल स्टाफ, नर्सिंग व आयुष फार्मासिस्ट तैनात किए जा रहे हैं। सीतापुर, कुशीनगर और बस्ती समेत कई जिलों में इनकी तैनाती कर दी गई है। जिन 18 जिलों में एंबुलेंस का चक्का पूरी तरह जाम है उसमें ज्यादातर पूर्वांचल के जिले हैं।
जीवीकेईएमआरआइ के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट टीवीएसके रेड्डी ने बताया कि अल्टीमेटम देने के बाद कई कर्मचारी काम पर वापस भी लौट आए हैं। अनुशासनहीन कर्मचारी बर्खास्त किए गए हैं, उनकी जगह दूसरे कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है। मालूम हो कि एएलएस एंबुलेंस सेवा का जिम्मा बीते दिनों जिगित्सा हेल्थ केयर को सौंपा गया था। इस कंपनी ने प्रशिक्षण के नाम पर 20 हजार रुपये मांगे थे और एंबुलेंस कर्मियों को 13,500 रुपये प्रति माह मानदेय की बजाए 10 हजार मानदेय देने पर सहमति जताई थी। इसे लेकर बीते रविवार को 250 एएलएस एंबुलेंस के करीब एक हजार कर्मचारी हड़ताल पर चले गए, जिसके बाद 108 व 102 एंबुलेंस सेवा के 22 हजार कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो गए। मान-मनौव्वल शुरू हुई तो एंबुलेंस कर्मियों ने अपनी डिमांड बढ़ा दी और सेवा प्रदाता कंपनी की बजाए एनएचएम के संविदा कर्मी के तौर पर भर्ती की मांग शुरू कर दी। कर्मचारियों से वार्ता विफल होने के बाद एनएचएम व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने वैकल्पिक व्यवस्था के जरिये एंबुलेंस सेवा संचालित करने की तैयारी शुरू कर दी है।