गुरुकुल महाविद्यालय प्रबंध सभा में हक को लेकर दो गुटों में तनाव बरकरार है। इस मामले में भाजपा विधायक स्वामी यतीश्वरानंद मुख्य अधिष्ठाता कक्ष के बाहर धरने में बैठ गए। उन्होंने प्रदेश के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि उन्हीं के इशारे पर यह सब हो रहा है। प्रशासन और पुलिस ने विधायक को काफी समझाने का प्रयास किया, लेकिन देर शाम तक विधायक धरने पर ही बैठे रहे। जबकि एक गुट के सदस्य अधिष्ठाता कक्ष में बैठे हैं।
गुरुकुल महाविद्यालय प्रबंध सभा में कब्जे को लेकर दो गुट आमने-सामने आ गए। 2018 में गुरुकुल महाविद्यालय प्रबंध सभा के तत्कालीन सभा प्रधान योगेंद्र सिंह ने अंतरंग सभा की बैठक में हरिद्वार ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद को मंत्री सभा के पद से निष्कासित कर दिया था। जिसके बाद विधायक कोर्ट चले गए। अभी न्यायालय से इस संबंध में कोई अंतिम फैसला नहीं आया है।
मामले में 2019 में तत्कालीन सभा प्रधान ने सर्वसम्मति से शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को उप प्रधान नियुक्त किया था। बुधवार को दोनों गुटों में इसे लेकर एक बार फिर विवाद हो गया। आरोप है कि एक गुट ने मंगलवार रात मुख्य अधिष्ठाता बलवंत सिंह के नाम का बोर्ड उखाड़कर फेंक दिया और कक्ष में कब्जा कर दिया। अब दोनों पक्ष खुद को सही बताकर महाविद्यालय प्रबंध सभा में अपनी हकदारी जता रहे हैं। गुरुवार सुबह हरिद्वार ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद मुख्य अधिष्ठाता कक्ष के बाहर समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए।
उनका कहना है कि कक्ष में काबिज दूसरे गुट को बाहर किया जाए। उन्होंने शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक पर आरोप लगाया कि यह सब उनके ही इशारे पर किया जा रहा है। वहीं दूसरे गुट के मंत्री सभा यशपाल सैनी, उप मंत्री अनिल का कहना है कि स्वामी यतीश्वरानंद और बलवंत सिंह चौहान का यहां से कुछ भी लेना देना नहीं हैं। एसडीएम कुश्म चौहान और सिटी मजिस्ट्रेट जगदीश लाल का कहना है कि दोनों पक्षों को माहौल खराब नहीं करने दिया जाएगा।
यह है विवाद
2019 में गुरुकुल महाविद्यालय प्रबंध सभा की अंतरंग सभा की बैठक में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को उप प्रधान बनाने के बाद सभा ने सर्वसम्मति से हरिद्वार ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद को निष्कासित करते हुए यशपाल सैनी को मंत्री सभा बना दिया था। बाद में खुद को मंत्री सभा बताते हुए स्वामी यतीश्वरानंद ने उप निबंधक फर्म सोसायटी एंड चिट्स रोशनाबाद को शिकायती पत्र दिया। साथ ही, न्यायालय में भी मामला चला। तब से आए दिन दोनों पक्ष खुद को सही बताते हुए महाविद्यालय में जोर आजमाइश में रहते हैं।