धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में भाजपाइयों ने रैली निकाली। क्षेत्रीय विधायक विनोद चमोली समेत अन्य भाजपा नेताओं ने लोगों को सीएए की जानकारी दी।
क्लेमेनटाउन, भारूवालाग्रांट, मोहब्बेवाला में रैली निकाली गई। रैली क्लेमेनटाउन के सामुदायिक भवन से शुरू होकर पोस्ट ऑफिस रोड होते हुए सुभाषनगर चौक से मोहब्बेवाला चौक स्थित प्राइमरी स्कूल में समाप्त हुई। समापन पर विधायक विनोद चमोली ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून से भारत में रहने वाले किसी भी मुस्लिम को कोई खतरा नहीं है।
उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कांग्रेस लोगों को गुमराह कर देश का माहौल बिगाड़ रही है। अब स्वयं कपिल सिब्बल ने कह दिया है कि कानून का विरोध नहीं किया जा सकता। भाजपा महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रहित में महत्वपूर्ण निर्णय ले रहे हैं। जनता को भी उनका समर्थन करना चाहिए। इस अवसर पर महापौर सुनील उनियाल गामा, महेश पांडे, मोहन जोशी, संयोजक सुनील कुमार, अध्यक्ष पूनम ममगाईं, सतीश कश्यप, दिनेश सती आदि उपस्थित रहे।
वरिष्ठ नागरिकों ने किया सीएए का समर्थन
सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसाइटी की बैठक में सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) पर चर्चा करते हुए इसका समर्थन किया। वरिष्ठ नागरिकों ने कहा कि देश में सभी वर्गों के बीच भाईचारा होना जरूरी है।
इसके साथ ही सोसाइटी ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर सदस्य मिलन कार्यक्रम आयोजित करने का भी निर्णय लिया। बैठक में सुशीला बलूनी, केएल अरोड़ा, केके ओबरॉय, जितेंद्र डंडोना, डॉ. अतुल जोशी, डॉ. एएस नेगी आदि उपस्थित रहे।
मानवता और राष्ट्रहित के लिए करें सीएए का समर्थन
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) राष्ट्रहित में एक सकरात्मक पहल विषय पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने इसे नागरिकता देने वाला कानून बताया। साथ ही, राजनीतिक दलों से इस कानून का मानवता और राष्ट्रहित के लिए समर्थन करने का आह्वान किया।
देवभूमि विचार मंच की ओर से राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान के सभागार में व्याख्यान एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संगीत रागी ने कहा कि यह कानून सिर्फ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताड़ित होने वाले अल्पसंख्यक समाज के लोगों को नागरिकता देने के लिए है। इससे किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता पर फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने इस कानून को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव आंबेडकर और पंडित जवाहरलाल नेहरू की सोच के अनुरूप बताया।