नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अब उत्तराखंड में भी भाजपा व कांग्रेस आमने सामने आ गए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सीएए को लेकर प्रदेश में माहौल बिगाड़ने के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को अपने बयान पर पुनर्विचार करना चाहिए। वहीं, भाजपा ने हल्द्वानी में शुरू किए गए धरने की कड़ी आलोचना करते हुए इसे गहरे षड्यंत्र का हिस्सा बताया है।
कांग्रेस महासचिव हरीश रावत प्रदेश प्रभारी होने के नाते इन दिनों असम के दौरे पर हैं। असम से ही एक बयान जारी कर हरीश रावत ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री के बयान को सुनकर आश्चर्य हुआ है। कश्मीर के विद्यार्थियों ने उत्तराखंड को अपनी पसंद बनाया है। वे यहां के विभिन्न संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं। उनका रिकॉर्ड अच्छा रहा है। एकाध मामलों को छोड़ दिया जाए तो बाद में उनका भी समाधान हो गया था। कुछ लोगों ने पहले भी उनके साथ दुर्व्यवहारकिया था। अपुष्ट बातों पर किसी वर्ग के लोगों के लिए बयान जारी कर देना ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री को अपने बयान पर पुनर्विचार करना चाहिए।
वहीं, भाजपा ने सीएए को लेकर मुख्यमंत्री के बयान को सही करार दिया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रमुख डॉ. देंवद्र भसीन ने हल्द्वानी में शुरू हुए धरने को एक षड्यंत्र का हिस्सा बताया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, वामदलों, सपा व अन्य विरोधी ताकतों द्वारा केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश में भाजपा की सरकार को बदनाम करने की मंशा से ऐसा किया जा रहा है। जो धरना प्रारंभ हुआ है उसमें जामिया मिलिया व कश्मीर से आए हुए लोग शामिल हैं। इससे साबित हो जाता है कि यह धरना एक षड्यंत्र का हिस्सा है। भाजपा मुख्यमंत्री के उस बयान के साथ खड़ी है जिसमें उन्होंने समाज विरोधी तत्वों द्वारा अव्यवस्था फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है।