केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने जुड़े स्कूलों को स्पष्ट किया है कि 10वीं और 12वीं कक्षा में विषय बदलने का कोई आग्रह इस आधार पर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए कि छात्र या अभिभावक उस विषय की पढ़ाई की व्यवस्था स्वयं कर लेंगे। सीबीएसई के अनुसार, 10वीं और 12वीं कक्षाएं दो वर्षीय पाठ्यक्रम हैं। स्कूलों से उम्मीद की जाती है कि वे छात्र-छात्राओं को नौवीं और 11वीं कक्षाओं में ऐसे विषय चुनने की सलाह दें, जिसे वे अगली कक्षा में भी जारी रख सकें और ये विषय स्कूल में भी उपलब्ध हों।
बोर्ड ने तय की मानक संचालन प्रक्रिया
सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं कक्षाओं में विषय बदलने के आवेदनों से निपटने के लिए स्कूलों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) तैयार की हैं। बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जब विद्यार्थी 10वीं और 12वीं कक्षा में आते हैं तो विभिन्न आधार पर विषय बदलना चाहते हैं।
संशोधित नियमों के तहत, विषय बदलने का कोई भी आग्रह केवल उस स्थिति में स्वीकार किया जाएगा, जब यह शैक्षणिक सत्र में 15 जुलाई से पहले किया गया हो। अधिकारी के मुताबिक किसी भी तरह से सीबीएसई की ओर से विषय बदलने के लिए ऐसा कोई आग्रह स्वीकार नहीं किया जाएगा, जिसमें कहा जाए कि अभिभावक अध्ययन के लिए व्यवस्था खुद कर लेंगे। अब लगभग सभी विषयों का आंतरिक आकलन होता है और स्कूलों को विद्यार्थियों के आंतरिक आकलन में प्रदर्शन की जानकारी देनी होगी।
प्रक्रिया निर्धारित की गई
अभिभावकों का विषय बदलने का आग्रह दिए गए एक निर्धारित प्रारूप में होना चाहिए। इसके साथ पिछली कक्षा का अंक पत्र (यदि स्कूल बदला नहीं है), यदि स्कूल बदला है तो अंक पत्र और स्थानातंरण प्रमाण पत्र और सरकारी अस्पताल की ओर से जारी मेडिकल प्रमाण पत्र भी होना चाहिए। आग्रह मिलने के बाद स्कूल को अपने स्तर पर तय करना है कि क्या विषय बदलने की वजह सही है? नया विषय स्कूल में उपलब्ध है या नहीं।
छात्रों की हाजिरी को लेकर CBSE ने दिया ये कड़ा निर्देश
बता दें कि केंद्रीय माध्यमिक शिॆक्षा बोर्ड ने हाल ही में स्कूलों में छात्रों की अटेंडेंस को लेकर कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब स्कूलों को छात्रों की उपस्थिति को लेकर पूरी जानकारी बोर्ड को देनी होगी और बोर्ड ही इस पर अंतिम निर्णय लेगा। बोर्ड के मुताबिक इस साल 2019 में कम अंटेंडेंस वाले छात्रों को छूट दी गई और उन्होंने परीक्षा में खराब प्रदर्शन किया। जिस वजह से विद्यार्थियों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) तैयार की गई।
अब इन नियमों का करना होगा पालन-
- CBSE के एक अधिकारी के मुताबिक सभी मामलों में पैरेंट्स द्वारा अनुरोध पत्र, संबंधित अधिकारियों द्वारा जारी प्रमाणपत्र और आवश्यक परफॉर्मा में संबंधित स्कूल की सिफारिश संबंधी डॉक्यूमेंट्स जमा कराने होंगे।
- हर सत्र में स्कूलों को सभी छात्रों की उपस्थिति संकलित कर शॉर्ट अटेंडेस के मामलों की पहचान करनी होगी, और इसके बाद 7 जनवरी तक पूरा ब्यौरा सीबीएसई के क्षेत्रीय ऑफिस में भेजना होगा। इसके साथ सभी जरूरी दस्तावेज भी संलग्न करने होंगे।
- इसके बाद क्षेत्रीय कार्यालय डॉक्यूमेंट्स में किसी भी तरह की कोई कमी के बारे में स्कूलों को बताएगा और स्कूलों को समयसीमा के अंदर इसका अनुपालन करना होगा। CBSE द्वारा इस मामले में मंजूरी देने के लिए अंतिम तिथि सात फरवरी होगी।
- इसके अलावा बीमारी, माता या पिता का निधन या फिर इसी तरह किसी अन्य कारण के लिए मानक संचालक प्रक्रियाओं में छूट दी जाएगी। इसी तरह राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेलों में हिस्सा लेने के लिए भी छात्रों को राहत दी जाएगी।