हल्द्वानी : नैनीताल की पेयजल योजना के निर्माण को लेकर फिर सक्रियता बढ़ गई है। योजना को 2055 को ध्यान में रखते हुए बनाया जाना है, ताकि नैनीताल के लोगों को 41 एमएलडी पानी उपलब्ध हो सके। इसके लिए नए सिरे से डीपीआर के लिए 15 अक्टूबर तक का समय तय कर दिया है। पूरी योजना करीब 600 करोड़ के होने का अनुमान है। मंगलवार को सर्किट हाउस में सांसद अनिल बलूनी ने अधिकारियों के साथ बैठक ली और कहा कि योजना के लिए केंद्र सरकार से बजट उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें ढिलाई न बरती जाए।
सांसद बलूनी ने कहा कि पेयजल योजना को 2055 को ध्यान में रखते हुए बनाया जाना है। वर्तमान में नैनीताल को झील से आठ एमएलडी पानी उपलब्ध हो रहा है। आने वाले वर्षों में पानी की जरूरत बढ़ेगी। इसलिए शहर को नई योजना से 41 एमएलडी पानी मिलेगा। इससे झील से पानी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। गर्मियों का झील का जलस्तर भी कम नहीं होगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित कि किया डीपीआर 15 अक्टूबर तक तैयार कर लें। इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार से फंडिंग कराई जायेगी। इसमें भारत सरकार के एनएचपी (नेशनल हाइड्रो प्रोजेक्ट) भी सहयोग रहेगा। साथ ही जलनिगम तथा जलसंस्थान के अधिकारियो से कहा कि वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया भी पूरी करवा लें। सांसद अजय भटट ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए युद्ध स्तर पर काम करना होगा।
बढ़ेगा पर्यटन, भूजल स्तर में होगा सुधार
डीएम धीराज गब्र्याल ने बताया कि प्राथमिक सर्वे के अनुसार कोसी नदी (गरमपानी) से नैनीताल तक पानी पहुंचाने के लिए 24 किमी लंबी पेयजल लाइन बिछेगी। नदी से 1.53 एमसीएम पानी स्टोर होगा। चार पंपिंग स्टेशन बढेरी, रातीघाट, पाडली एवं दूणीखाल में बनाये जाएंगे। बढ़ेरी पुल के पास पानी के संग्रह करने के लिए 120 मीटर लंबी व 12 मीटर ऊंची कृत्रिम झील बनेगी। पंपिंग स्टेशनों से पानी को लिफ्ट कर पाइप लाइन के जरिये नैनीताल शहर को आपूॢत की जाएगी। इस जगह पर पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। भूजल स्तर भी बढ़ेगा