देहरादून। अगले वर्ष लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नए वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट सशक्त उत्तराखंड का ठोस रोडमैप होगा। पुष्कर सिंह धामी सरकार ने नए बजट की तैयारी प्रारंभ कर दी है। बजट प्रस्ताव को दो वर्षीय अल्पकालिक, पांच वर्षीय मध्यकालिक और 10 वर्षीय दीर्घकालिक कार्ययोजना की सरकार की नीति के अनुसार तैयार किया जाएगा। विभाग इनमें आवश्यक होने पर ही एक प्रतिशत तक नए पदों का सृजन कर सकेंगे
सभी विभाग पोर्टल पर IFMS कराएंगे उपलब्ध
विभाग नए पदों के सृजन से हाथ खींचे रखेंगे। आवश्यक होने की स्थिति में नए पदों का सृजन एक प्रतिशत तक किया जा सकेगा। सभी विभाग अपने बजट प्रस्ताव 15 दिसंबर तक इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (आईएफएमएस) के पोर्टल पर ऑनलाइन उपलब्ध कराएंगे।
वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने गुरुवार को सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों एवं प्रभारी सचिवों को नए बजट प्रस्ताव के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। नए बजट में नई मांग के प्रस्ताव को भी सम्मिलित करने को कहा गया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 की तुलना में नए बजट प्रस्ताव को 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि प्रस्तावित की जाएगी। विभागीय सचिव प्रत्येक योजना के मानक मदवार मांग को ध्यान में रखकर इसका औचित्यपूर्ण प्रस्ताव तैयार करेंगे।
बगैर विचार किए बजट बनाने पर आपत्ति
जिन योजनाओं की आवश्यकता नहीं रह गई अथवा उनमें समुचित तरीके से प्रगति नहीं हो रही है, उन्हें समाप्त करने के निर्देश दिए गए हैं। चालू योजनाओं की मध्यावधि समीक्षा होगी। उपयोगिता के आधार पर इन योजनाओं को आगे बढ़ाते हुए इनके लिए बजटीय व्यवस्था की जाएगी।
वित्त ने विभागों के ढुलमुल रवैये पर आपत्ति भी की है। वित्त सचिव ने कहा कि कई विभागों को योजना के क्रियान्वयन से प्राप्त होने वाले परिणाम और प्रभाव के अनुमोदित अनुमानों की जानकारी नहीं होती, जिस कारण संबंधित योजनाओं में साल दर साल बिना सोच विचार के बजट की व्यवस्था कराई जा रही है। नए बजट प्रस्ताव में इस संबंध में विशेष सावधानी बरतने की हिदायत दी गई है।
लाभार्थी तक डिलीवरी करने पर बल
नए बजट में लाभार्थी तक अपेक्षित लाभ पहुंचाने के लिए डिलीवरी व्यवस्था पर किए जा रहे खर्च का आकलन और पर्यवेक्षण किया जाएगा। साथ में स्टाफ पर निरंतर बढ़ते खर्च और सूचना प्रौद्योगिकी एवं कंप्यूटरीकरण के उपयोग को ध्यान में रखकर स्टाफ मानक का पुनरीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं।
डिलीवरी व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए आउटसोर्सिंग अथवा सार्वजनिक निजी भागीदारी की व्यवस्था के अंतर्गत कुशल व निपुण और प्रभावी विकल्प का उपयोग किया जाएगा। शासन की ओर से दिए जा रहे अलाभकारी अनुदानों को समाप्त करने पर विचार करने को कहा गया है।