पेट्रोल और डीजल की कीमतें फिर सताना शुरू करेंगी। क्योंकि कच्चे तेल का दाम रिकॉर्ड स्तर पर चल रहा है और विधानसभा चुनाव भी खत्म होने वाले हैं। ऐसे में कीमतों में बढ़ोतरी अगले सप्ताह फिर से शुरू होने की आशंका है। यह बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल कीमतों में 100 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से पैदा हुए 9 रुपये प्रति लीटर के अंतर को पाटने के लिए होगी। कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 2014 के बाद पहली बार 110 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर हैं
ऑयल मिनिस्ट्री के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) की जानकारी के मुताबिक, 1 मार्च को भारत में कच्चे तेल की खरीदारी 102 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर की गई, जो अगस्त 2014 के बाद सबसे ज्यादा है। जेपी मॉर्गन ने एक रिपोर्ट में कहा, “हम अगले सप्ताह राज्यों में चुनाव खत्म होने के साथ पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद करते हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सातवें और अंतिम चरण का मतदान 7 फरवरी को है और मतों की गिनती 10 मार्च को होनी है।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) पेट्रोल और डीजल दोनों पर 5.7 रुपये प्रति लीटर का नुकसान उठा रही हैं। यह उनके 2.5 रुपये प्रति लीटर के सामान्य मार्जिन से अलग है। ब्रोकरेज हाउस ने कहा कि तेल कंपनियों को सामान्य मार्जिन पर लौटने के लिए खुदरा कीमतों में 9 रुपये प्रति लीटर या 10 प्रतिशत की वृद्धि करने की जरूरत है। हम छोटे उत्पाद शुल्क में कटौती (1-3 रुपये प्रति लीटर) और खुदरा मूल्य वृद्धि (5-8 रुपये प्रति लीटर) के गठजोड़ की उम्मीद करते हैं, जो 100 डॉलर प्रति बैरल तेल की भरपाई करेगा।
रूस यूरोप की प्राकृतिक गैस का एक तिहाई और वैश्विक तेल उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत उत्पादित करता है। यूरोप को लगभग एक तिहाई रूसी गैस यूक्रेन के रास्ते पाइपलाइनों से मिलती है।